उच्चतम न्यायालय ने कहा कि श्री पद्मनभस्वामी मंदिर का तहखाना ‘बी’ केवल तभी खुलेगा जब अन्य कोठरियों से पता लगाई गई संपत्तियों के संरक्षण और प्रलेखन के संबंध में आवश्यक कार्य पूरा हो जाएगा.
न्यायमूर्ति आर. रवींद्रन की अध्यक्षता वाली नीठ ने विशेषज्ञ समिति के इस आग्रह को खारिज कर दिया कि मंदिर की सुरक्षा जिम्मेदारी केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को सौंप दी जाए. पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह मंदिर की संपत्तियों की रक्षा करने के लिए इसे पूर्ण स्तरीय सुरक्षा मुहैया कराए जिसमें 1.50 लाख करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति होने का अनुमान है.
पीठ ने यह भी कहा कि मंदिर प्रबंधन संपत्तियों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए हर साल 25 लाख रुपये की राशि मुहैया कराएगा जबकि शेष आवश्यक राशि राज्य सरकार द्वारा वहन की जाएगी.
न्यायालय ने कहा कि संरक्षण कार्य का ठेका देने के लिए निजी क्षेत्र के लोगों से कोई निविदा आमंत्रित नहीं की जानी चाहिए और कहा कि यह काम ‘केरल स्टेट इलेक्ट्रानिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड’ (केलट्रान) करेगी.
पीठ ने कहा कि वह तीन महीने बाद मामले पर दोबारा से सुनवाई करेगी. शीर्ष अदालत ने मंदिर की सुरक्षा और इसके तहखाने ‘बी’ को खोले जाने के मुद्दे पर 16 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसने कहा था कि सुरक्षा उपलब्ध कराने में जहां तक संभव होगा परंपराओं और रीति रिवाजों की रक्षा की जाएगी. न्यायालय ने 21 जुलाई को तिरुवनंतपुरम स्थित मंदिर में संपत्तियों का पता लगाने और इनके संरक्षण के लिए पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित की थी.
समिति के प्रमुख राष्ट्रीय संग्रहालय के निदेशक वी आनंद बोस हैं. इसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और भारतीय रिजर्व बैंक के प्रतिनिधि भी शामिल हैं. न्यायालय ने मंदिर की संपत्तियों का पता लगाने के कार्य पर नजर रखने के लिए भी तीन सदस्यीय एक समिति गठित की थी.
निगरानी समिति में केरल उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएन कृष्णन त्रावणकोर के राजकुमार रहे मार्तंड वर्मा और सचिव स्तर का एक सरकारी प्रतिनिधि शामिल है.
शीर्ष अदालत ने मार्तंड वर्मा और उनके परिवार के आवेदन पर आदेश पारित किया. उन्होंने इस साल 31 जनवरी के केरल उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी जिसमें राज्य सरकार को निर्देश दिया गया था वह मंदिर की संपत्तियों और प्रबंधन को अपने कब्जे में ले ले.
पीठ ने पूर्व में आशंका व्यक्त की थी कि मीडिया में व्यापक स्तर पर आई खबरों के मद्देनजर संपत्ति शायद ‘खतरे’ में है.