उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त एसआईटी ने यह कहते हुए गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार मामले में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘क्रिया और प्रतिक्रिया’ सिद्धांत पर मुहर लगाई है कि वर्ष 2002 में पूर्व सांसद एहसान जाफरी के गोलियां चलाने के परिणामस्वरूप 69 लोगों की मौत हुई थी.
एसआईटी ने जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी द्वारा मोदी पर लगाए गए इस खास आरोप के संदर्भ में उन्हें पाक साफ करार दिया है कि उन्होंने (मोदी ने) एक निजी टेलीविजन चैनल और अखबार के साथ साक्षात्कार में आपत्तिजनक बयान दिया था और न्यूटन के क्रिया और प्रतिक्रिया सिद्धांत का हवाला दिया था.
एसआईटी ने कहा कि निजी टीवी चैनल के संवाददाता के अनुसार मोदी ने जाफरी के गोलियां चलाने को ‘क्रिया’ और उसके बाद हुए नरसंहार को ‘प्रतिक्रिया’ बताया था. एसआईटी रिपोर्ट में कहा गया है, ‘साक्षात्कार के दौरान जब गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार के बारे में सवाल किया गया जिसमें पूर्व सांसद एहसान जाफरी और 69 मारे गए थे, तब मुख्यमंत्री ने इन खबरों का हवाला दिया कि जाफरी ने पहले हिंसक भीड़ पर गोलियां चलाई थी जिससे भीड़ भड़क गयी और उसके बाद वह हाउसिंग सोसायटी पर टूट पड़ी और उसमें आग लगा दी.’
एसआईटी रिपोर्ट में कहा गया है कि सटीक बयान यह था- ‘क्रिया प्रतिक्रिया की चेन चल रही है. हम चाहते हैं कि न क्रिया हो और ना प्रतिक्रिया.’ जब संवाददाता ने मोदी से गुजरात में गोधरा कांड के बाद फैली व्यापक हिंसा के बारे में पूछा गया तब उन्होंने जवाब दिया, ‘गोधरा में जो परसों हुआ, जहां पर 40 महिलाओं और बच्चों को जिंदा जला दिया गया, इससे देश में और विदेश में सदमा पहुंचना स्वभाविक था. गोधरा के इस इलाके के लोगों की क्रिमिनल टेंडेंसी रही है, इन लोगों ने पहले महिला टीचर का खून किया था और अब ये जघन्य अपराध किया है जिसकी प्रतिक्रिया हो रही है.’
मोदी ने एक मार्च, 2002 को यह साक्षात्कार दिया जबकि गोधरा ट्रेन अग्निकांड 27 फरवरी, 2002 को हुआ था. एसआइटी ने उनके इस बयान के लिए उन्हें पाक साफ करार देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के ये तथाकथित बयान उनके खिलाफ मामला बनाए जाने के लिए काफी नहीं हैं.
अपने निष्कर्ष में एसआईटी ने कहा, ‘इस सिलसिले में यह कहा जाए कि नरेंद्र मोदी ने अपने साक्षात्कार में स्पष्ट तौर पर कहा कि यह दिवंगत पूर्व सांसद एहसान जाफरी थी जिन्होंने पहले हिंसक भीड़ पर गोलियां चलाईं और गुस्साई भीड़ सोसायटी पर टूट पड़ी और उसने उसमें आग लगा दी. अपने साक्षात्कार में उन्होंने स्पष्ट रूप से जाफरी की गोलीबारी को क्रिया और उसके बाद हुए नरसंहार को ‘प्रतिक्रिया’ बताया.’
एसआईटी रिपोर्ट आगे कहती है, ‘यह स्पष्ट किया जा सकता है कि भीड़ पर जाफरी के गोलियां चलाने से तत्काल भड़काऊ कार्रवाई हो सकती थी जो मुसलमानों के गोधरा कांड का बदला लेने के लिए वहां एकत्र थी.’
न्यूटन के सिद्धांत का हवाला देकर गोधरा पश्चात कांड के बारे में प्रेस बयान के सिलसिले में मोदी ने कहा कि उन्होंने एक प्रमुख दैनिक को कोई साक्षात्कार नहीं दिया. एसआईटी की रिपोर्ट कहती है कि मोदी के अनुसार कोई रिपोर्टर उनसे नहीं मिला. उन्होंने आगे कहा कि उनके तथाकथित ‘क्रिया-प्रतिक्रिया’ स्टोरी के बारे में झूठ इस तथ्य से उजागर हो जाता है.
एसआईटी कहती है कि मोदी ने मुखर रूप से इन आरोपों का इनकार किया कि उन्होंने ‘क्रिया-प्रतिक्रिया’ थ्योरी का हवाला देकर दंगे को सही ठहराया था. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यह उनका मत रहा है कि हिंसा के बदले हिंसा नहीं हो सकती है और उन्होंने शांति की अपील की थी. एसआईटी ने मार्च, 2010 में मोदी से की गयी अपनी पूछताछ का हवाला देकर इस आरोप के खिलाफ मुख्यमंत्री का जोरदार ढंग से बचाव किया.
उसने कहा, ‘एक मार्च, 2002 को जीटीवी के साक्षात्कार के सिलसिले में मोदी ने एसआईटी से कहा कि आठ साल बाद वह सटीक शब्द तो याद नहीं कर पा रहे हैं लेकिन उन्होंने हमेशा ही शांति और बस शांति की अपील की.’ एसआईटी रिपोर्ट में कहा गया है, ‘उन्होंने (मोदी ने) यह भी कहा कि इस प्रश्न पर उनकी शब्दावली पर सही संदर्भ में विचार किया जाए तो यह स्पष्ट हो हो जाएगा कि लोगों से किसी भी प्रकार की हिंसा से दूर रहने की ईमानदार अपील की गयी.’
एडिटर्स गिल्ड की पुस्तक ‘राइट्स एंड रॉन्ग’ में टीवी साक्षात्कार के अंश हैं. एसआईटी ने टीवी संवाददाता से पूछताछ की थी और उसने साक्षात्कार की सीडी देने को कहा था. लेकिन संवाददाता ने एसआईटी कहा था कि उनके पास सीडी नहीं है लेकिन उसने स्मरण कर कहा कि मोदी ने उससे क्या कहा था.