साल 2002 में गुजरात में गोधरा ट्रेन नरसंहार के बाद हुए दंगों की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अपनी अंतिम रिपोर्ट एक स्थानीय अदालत में दाखिल कर दी. हालांकि इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है कि क्या एसआईटी ने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मामले बंद कर दिये हैं.
हालांकि सूत्रों के मुताबिक मोदी को एसआईटी की रिपोर्ट में राहत मिली है. रिपोर्ट में कहा गया है कि एसआईटी को दंगों को लेकर मोदी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला हैं, जाकिया जाफरी ने मुख्यमंत्री और 62 अन्य खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी.
मीडिया की इन खबरों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. इस मामले पर एसआईटी के किसी अधिकारी की भी टिप्पणी नहीं मिल पाई है.
जाकिया पूर्व कांग्रेसी सांसद अहसान जाफरी की पत्नी हैं. जाफरी भी 2002 में गुलमर्ग सोसायटी में हुए दंगे में मारे गए थे. उस वक्त गुलमर्ग सोसायटी में 69 लोगों की मौत हुई हुई थी. राज्य में 2002 में हुए सांप्रदायिक दंगों में लगभग 1,200 लोग मारे गए थे.
अदालत के सूत्रों ने बताया कि एसआईटी के अधिकारियों ने एक सीलबंद लिफाफे में मजिस्ट्रेटी अदालत को अंतिम रिपोर्ट सौंपी. इसका आदेश उच्चतम न्यायालय की ओर से दिया गया था. एसआईटी का गठन भी न्यायालय ने किया था. अब मजिस्ट्रेट इस रिपोर्ट पर विचार करेंगे. यह रिपोर्ट उस दिन सौंपी गई है, जब गुजरात उच्च न्यायालय ने नरेंद्र मोदी सरकार को दंगों के दौरान ‘निष्क्रियता और लापरवाही’ के लिए फटकार लगाई.
उच्च न्यायालय ने कहा कि उस वक्त राज्य सरकार की निष्क्रियता और लापरवाही के चलते स्थिति ‘अराजक’ हो गई थी और कई दिनों तक यह स्थिति बरकरार रही थी.
जकिया जाफरी दंगों के लिए मोदी को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराती रही हैं.