विदेश मंत्री एस एम कृष्णा अजमेर की जेल में बंद 80 वर्षीय पाकिस्तानी डॉक्टर को लेकर पूछे गए सवाल के दौरान फिर भूल के शिकार हो गए और कह दिया कि पाकिस्तान सरकार को मानवीय आधार पर उनकी रिहाई के बारे में सोचना चाहिए.
राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान दिए गए कृष्णा के इस अजीब जवाब से सदन में विपक्षी सदस्य असमंजस में पड़ गए और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को हस्तक्षेप कर स्थिति स्पष्ट करनी पड़ी.
प्रश्नकाल के दौरान जब जदयू के शिवानंद तिवारी ने जानना चाहा कि व्हीलचेयर पर आश्रित 80 वर्षीय डॉक्टर मोहम्मद खलील चिश्ती की रिहाई के लिए सरकार क्या कर रही है. वायरोलॉजिस्ट चिश्ती को वर्ष 1992 के हत्या के एक मामले में गत दिसंबर में उम्र कैद की सजा सुनाई गई है.
1992 के दौरान वह अपनी बीमार मां को देखने के लिए भारत आए थे. कृष्णा ने अपने जवाब में कहा कि वह व्यक्ति, पाकिस्तान में हिरासत में है और इस सवाल पर पाकिस्तान सरकार को ‘मानवीय आधार’ पर सोचना है.
जवाब सुन कर सदस्य असमंजस में आ गए. तभी मंत्री ने कहा कि डॉ. चिश्ती व्हील चेयर पर आश्रित हैं और उनकी उम्र 80 साल से अधिक है. उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि पाकिस्तान सरकार इस मामले में उदार रुख अपनाएगी. विदेश मंत्री ने कहा कि इस मामले को उच्चायुक्त स्तर पर लगातार उठाया जाएगा. यह सुन कर आश्चर्यचकित विपक्षी सदस्यों ने पूछा कि कृष्णा किस कैदी के बारे में बोल रहे हैं.
मार्क्सवादी वृंदा कारत ने कहा कि मंत्री सवाल को समझ नहीं पाए और वह किसी और के बारे में बोल रहे हैं. विपक्षी सदस्यों की टोकाटाकी के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उठे और उन्होंने कहा कि डा चिश्ती राजस्थान में सजा काट रहे हैं.
उन्होंने कहा कि जब उन्हें डा चिश्ती की रिहाई के लिए अनुरोध मिला तो उन्होंने गृह मंत्री से संपर्क किया. गृह मंत्री ने राजस्थान सरकार को पत्र लिखा और जवाब का इंतजार किया जा रहा है. जब विपक्ष के सदस्यों की टोकाटाकी बढ़ गई तो सभापति हामिद अंसारी ने व्यवस्था दी कि रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं जाएगा. प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप के बाद सभापति ने कहा कि स्थिति स्पष्ट हो गई है.
इसके बाद उन्होंने अगला सवाल पूछने को कहा. डॉ चिश्ती का मामला हाल ही में तब सुखिर्यों में आया था जब उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश मार्कन्डेय काटजू ने उनकी मानवीय आधार पर रिहाई के लिए व्यक्तिगत तौर पर अपील करते हुए कहा था कि उन्हें (डा चिश्ती को) दिल की बीमारी है और उनके कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर भी है.
उन्होंने कहा था ‘यदि जेल में उनकी (डा चिश्ती की) मौत हो जाती है तो यह भारत के लिए अत्यंत अपमान की बात होगी. यदि उन्हें माफी दे दी जाती है तो इससे भारत का गौरव बढ़ेगा.’