भारत ने यह जोर देकर कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ‘भेदभावपूर्ण रवैया’ नहीं अपनाया जा सकता और यह उम्मीद भी जताई कि पाकिस्तान अपनी जमीन पर मौजूद आतंकी शिविरों को नष्ट करने में ‘गंभीरता’ दिखाएगा.
भारत के विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने एक प्रीतिभोज के दौरान अपनी पाकिस्तानी समकक्ष हिना रब्बानी खार से मुलाकात के मौके पर कहा, ‘‘मुझे इस बात पर यकीन है कि पाकिस्तान को एहसास होगा... और अब तक उन्हें एहसास हो चुका होगा कि आतंक का मुकाबला भेदभावपूर्ण तरीके से नहीं किया जा सकता.’’
कृष्णा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जैसा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बार-बार कहते आए हैं, इसका मुकाबला सरहदों के परे जाकर ही किया जा सकता है.’’ उन्होंने कहा कि हिना ने जुलाई में नई दिल्ली के अपने दौरे में कहा था कि उनका देश भी आतंकवाद का शिकार है.
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि पाकिस्तान अपनी जमीन पर मौजूद सभी आतंकी शिविरों को नष्ट करने में गंभीरता दिखाएगा. हम यह अपेक्षा करते हैं कि पाकिस्तान अपनी घोषणाओं पर अमल करेगा.’’
हिना के विदेश मंत्री बनने के बाद भारत के साथ द्विपक्षीय वार्ता में होने वाली प्रगति के संदर्भ में पूछे जाने पर कृष्णा ने कहा कि हिना ने दोनों देशों के लोगों, शिक्षाविदों, शिक्षकों, विद्यार्थियों और खिलाड़ियों के बीच आदान-प्रदान में सकारात्मक रुख दिखाया है.
कृष्णा ने कहा, ‘‘यह संबंधों को बनाने का सबसे सही तरीका है और हम निश्चित रूप से इस परस्पर सहयोग करेंगे.’’ हक्कानी समूह और आईएसआई के साथ उसके संबंधों पर पाकिस्तान और अमेरिका के बीच पैदा हुए तनावपूर्ण माहौल पर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि दूसरे देशों के साथ पाकिस्तान के संबंधों पर भारत की तरफ से टिप्पणी करना ‘उचित’ नहीं होगा.
देशों के पास अपने पड़ोसी चुनने का विकल्प नहीं होने के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विचार को बल देते हुए कृष्णा ने कहा, ‘‘पाकिस्तान एक नजदीकी पड़ोसी है, जिसके साथ हमारे संबंध सभ्यता से जुड़े हैं. हमारा इतिहास, हमारी पृष्ठभूमि और भाषा भी एक है. इसलिए इसके साथ संबंधों को सामान्य करने की जरूरत है.’’
उधर इस आयोजन के दौरान हिना ने विश्व समुदाय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में पाकिस्तान की अस्थायी सदस्यता के लिए सहयोग देने की अपील की. हिना ने कहा, ‘‘पाकिस्तान ऐसे समय पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में अस्थायी सदस्यता के लिए प्रयास कर रहा है, जब विश्व चुनौतियों भरे दौर से गुजर रहा है. संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का लंबा अनुभव और सक्रिय सहभागिता अनेक समस्याओं के समाधान में उसे रचनात्मक भूमिका निभाने के योग्य बनाता है.’’
गौरतलब है कि 21 अक्तूबर को अस्थायी सदस्यता के लिए होने वाले इस चुनाव में किर्गिस्तान पाकिस्तान का प्रतिद्वन्द्वी होगा.