रूस में कुछ तत्वों द्वारा भगवत गीता पर प्रतिबंध लगाए जाने के प्रयासों को सरकार ने पूर्णत: बेहूदा हरकत बताते हुए आज विश्वास जताया कि इस मित्र देश की सरकार इस मामले के समाधान की दिशा में उचित कदम उठाएगी.
भगवत गीता को ‘उग्रवादी साहित्य’ बता कर रूस के साइबेरिया की एक अदालत में इसे प्रतिबंधित करने संबंधी मामले की संसद में कड़ी भर्त्सना के बाद विदेश मामलों के मंत्री एसएम कृष्णा ने लोकसभ में दिए बयान में कहा कि सरकार ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है और रूस सरकार के साथ इसे उच्च स्तर पर उठाया गया है.
कृष्णा ने कहा कि रूस की स्थानीय अदालत में भगवत गीता के बारे में की गयी यह शिकायत ‘किसी अज्ञानी या भटके हुए निहित स्वार्थों से प्रेरित व्यक्तियों द्वारा किया गया काम लगता होता है.’ उन्होंने कहा, ‘हालांकि यह शिकायत पूरी तरह निर्थक है, फिर भी हमने इस मामले को गंभीरता से लिया है और भारतीय दूतावास इस कानूनी मामले का गहरी नजर रखे हुए है.
इस मुद्दे पर सदस्यों की भावना से सरकार को पूरी तरह सबद्ध करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, ‘हमें विश्वास है कि हमारे रूसी मित्र, जो हमरी सभ्यता के मूल्यों एवं सांस्कृतिक संवेदनशीलता को समझते हैं, इस मसले का उपयुक्त समाधान कर लेंगे.’ सरकार के जवाब पर संतोष जताते हुए सदस्यों ने मेजें थपथपा कर उसका स्वागत किया.
मंत्री के बयान के बाद विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने सुझाव दिया कि भगवत गीता को राष्ट्रीय पुस्तक घोषित कर दिया जाए जिससे किसी भी देश को इसका अपमान करने की जरूरत नहीं हो. कृष्णा ने कहा कि गीता किसी अज्ञानी अथवा भटके हुए व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले घटिया दुष्प्रचार अथवा हमलों से काफी ऊपर है.
सरकार की ओर से दिए बयान में कहा गया कि जून 2011 में इस मामले के प्रकाश में आने के बाद से ही मास्को स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारी तथा हमारे राजदूत इस्कान के स्थानीय प्रतिनिधियों के साथ नियमित संपर्क में हैं. इस्कान के प्रतिनिधियों को सलाह दी गई है कि वे इस भ्रामक शिकायत का विरोध करने के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाएं.
कृष्णा ने बताया कि इस मामले को भारत स्थित रूस के राजदूत अलेक्जैण्डर कदाकिन के साथ भी उठाया गया है, जो स्वयं विख्यात भारत विज्ञानी हैं. कदाकिन ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि भगवत गीता भारत तथा विश्व के लोगों के लिए ज्ञान का महान स्रोत है. उन्होंने भरोसा दिलाया है कि रूस धर्मनिरपेक्ष देश है जहां सभी धर्मो का सम्मान किया जाता है.
विदेश मंत्री ने बताया कि रूस की स्थानीय अदालत में जिस पुस्तक के बारे में शिकायत की गई है वह इस्कान के संस्थापक स्वामी प्रभुपाद द्वारा दिए गए प्रवचनों के अनुवाद ‘भगवद गीता यथा स्वरूप’ प्रकाशन के तीसरे रूसी संस्करण का रूसी अनुवाद है. इसके कुछ भागों को ‘उग्रवादी विचारधारा’ से संबंधित बताते हुए साइबेरिया की अदालत में इसे प्रतिबंधित करने की याचिका दायर की गई है.
अदालत को गुजरे सोमावार को इस पर फैसला देना था लेकिन उसने अब निर्णय को 28 दिसंबर तक टाल दिया है. अदालत ने रूस के कुछ भारत विज्ञानियों और विशेषज्ञों तथा मानवाधिकार संस्थाओं की राय सुनने के बाद ऐसा किया है.