सहारा समूह ने निवेशकों को ब्याज सहित पैसा लौटाने संबंधी बाजार नियामक सेबी के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी. न्यायालय इस पर 4 जुलाई को सुनवाई करेगा.
न्यायाधीश पी सथाशिवम तथा न्यायाधीश एके पटनायक की अवकाशकालीन खंडपीठ ने ने अवकाश के बाद पहले कार्यदिवस चार जुलाई को सुनवाई का फैसला किया. सहारा इंडिया रीयल इस्टेट ने खंडपीठ को सूचित किया कि उसकी याचिका न्यायालय की रजिस्ट्री में दाखिल की गई है.
सहारा समूह की यह कंपनी चाहती है कि न्यायालय सेबी से 23 जून के अपने आदेश को अपनी साइट से हटाने को कहे. साथ ही सेबी के अधिकारियों को उस आदेश के प्रकाशन से रोका जाए जिसे कंपनी चुनौती दे चुकी है. कंपनी के वकीलों ने न्यायालय में कहा कि उनकी मुवक्किल फर्म चाहती है कि सेबी निवेशकों को ब्याज सहित पैसा लौटाने संबंधी अपने आदेश के अंश हटाये क्योंकि इसने निवेशकों में भय पैदा किया है.
वकील ने कहा, 'सेबी के 99 पेज के आदेश से निवेशकों में भय है. सेबी संवादाता सम्मेलन कर रहा है और आदेश के बारे में प्रेस विज्ञप्ति जारी कर रहा है.' इस मामले की सुनवई अब मुख्य न्यायाधीश एस एच कपाडिया की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ करेगी.
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने 12 मई को सेबी से कहा था कि वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने संबंधी सहारा समूह की याचिका पर उचित आदेश जारी करे. सहारा समूह ने इस याचिका में उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उसे पूर्णत: शेयरों में परिवर्तनीय विकल्प वाले डिबेंचर (ओएफसीडी) जारी करने से रोक दिया गया था.
इसके अलावा सेबी ने अपनी याचिका में आग्रह किया था सहारा समूह को निर्देश दिया जाए कि वह अपने निवेशकों तथा उनके निवेश की सूचना उसे दे. मुख्य न्यायाधीश एस एच कपाडिया की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है जिसने कहा था, 'निवेशकों के हितों के अभिरक्षक तथा विशेषज्ञ निकाय के रूप में सेबी को (ओएफसीडी पर) इन सवालों की समीक्षा करनी चाहिए. हम आगे आदेश जारी करें उससे पहले हम चाहेंगे कि सेबी अपने समक्ष लंबित आवेदनों पर फैसला कर ले ताकि हमें इन याचिकाओं का निपटारा करने में आवश्यक सूचना मिल सके.'
इसी आदेश के बाद सेबी ने 23 जून को एक आदेश जारी कर सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कारपोरेशन लि. (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेंट कारपोरेशन (एसएचआईसीएल) को पूर्णत: शेयरों में परिवर्तनीय विकल्प वाले डिबेंचरों (ओएफसीडी) के तहत जुटाए गए धन को निवेशकों को 15 प्रतिशत वाषिर्क ब्याज के साथ लौटाने का निर्देश दिया.
एसआईआरईसीएल का नाम बदलकर सहारा कमोडिटी सर्विसेज कारपोरेशन कर दिया गया है. सेबी के आदेश के अनुसार, एसआईआरईसीएल और एसएचआईसीएल तथा इसके प्रवर्तक सुब्रत राय सहारा व इन कंपनियों के निदेशकों वंदना भार्गव, रविशंकर दूबे तथा अशोक राय चौधरी इस आदेश के तहत संयुक्त रूप से और अलग-अलग भी निवेशकों से जुटायी गई राशि लौटाने को जिम्मेदार होंगे.