एक ओर साधु संतों ने स्वामी रामदेव का अनशन तुड़वाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी. लेकिन किसी भी सरकार ने 62 दिन से अनशन पर बैठे एक साधु की सुध तक नहीं ली.
हम बात कर रहे हैं स्वामी निगमानंद की जिनकी सोमवार को देहरादून के हिमालय अस्पताल में मौत हो गई. उसी हिमालयन अस्पताल में जहां स्वामी रामदेव को तबीयत बिगड़ने पर भर्ती किया गया था. एक संन्यासी ने काले धन के मुद्दे पर अनशन किया तो दूसरे ने मैली होती गंगा को बचाने के लिए अनशन का रास्ता चुना.
लेकिन फर्क देखिए एक का अनशन तुड़वाने के लिए उत्तराखंड सरकार ने एड़ी-चोटी का जोड़ लगा दिया लेकिन दूसरे की सुध तक नहीं ली जिसका नतीजा हुआ कि निगमानंद ने अस्पताल में ही दम तोड़ दिया.
34 साल के स्वामी निगमानंद गंगा को बचाने के लिए 62 दिनों से अनशन पर थे. हरिद्वार में अनशन पर बैठे निगमानंद की हालत गंभीर होने पर प्रशासन ने उन्हें आनन-फानन में देहरादून के हिमालयन अस्पताल में भर्ती करा दिया था लेकिन सोमवार को उन्होंने दम तोड़ दिया.