पाकिस्तान की जेल में बंद सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर ने बुधवार को यहां एक होटल में पड़ोसी देश के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी से मुलाकात करने की विफल कोशिश की. सरबजीत को मौत की सजा सुनायी गयी है.
जैसे ही गिलानी अपने अंगरक्षकों और अधिकारियों के साथ चंडीगढ़ के मध्य में स्थित होटल ताज पहुंचे, वहां दलबीर कौर अपनी बहनों स्वप्नदीप कौर और कुछ अन्य लोगों के साथ हाथ में एक तख्ती और सरबजीत की तस्वीर लिये खड़ी थीं. उन्होंने मुलाकात की कोशिशें की ताकि गिलानी उनकी बात सुनें.
हालांकि, होटल और उसके आसपास चाकचौबंद सुरक्षा इंतजाम होने के चलते दलबीर गिलानी से नहीं मिल सकीं.
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि जब तक हमें आगंतुकों के बारे मंजूरी नहीं मिल जाती तब तक हम उन्हें गिलानी से मुलाकात की इजाजत नहीं दे सकते. दलबीर ने कहा कि उन्हें इस बात की काफी उम्मीद थी कि पाकिस्तान सरकार उनके भाई को माफ कर देगी क्योंकि उसे मामले में गलत पहचान होने के बाद दोषी ठहराया गया है.
उन्होंने कहा कि अगर मुझे गिलानी से मिलने की मंजूरी मिली होती तो मैंने उनसे यह दरख्वास्त की होती कि वह मेरे भाई की रिहाई के लिये कुछ कदम उठायें क्योंकि वह करीब दो दशक पहले हुए बम विस्फोट के मामले में संलिप्त नहीं था.
दलबीर ने कहा कि मैं उस वकील से भी संपर्क करने की कोशिश कर रही हूं जिसने मेरे भाई के लिये क्षमा याचिका दाखिल की थी. कई कोशिशों के बावजूद दलबीर कौर को कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिल पाया है.
सरबजीत लाहौर की जेल में बंद है. उसे वर्ष 1990 में हुए बम हमलों के मामले में कथित संलिप्तता के लिये दोषी ठहराया गया है.
लाहौर उच्च न्यायालय ने चार विभिन्न मामलों में जनवरी 2003 में सरबजीत को मौत की सजा सुनायी थी. पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने इस फैसले को बरकरार रखा था. पाकिस्तानी प्रशासन ने वर्ष 2008 में प्रधानमंत्री गिलानी के हस्तक्षेप के बाद सरबजीत को फांसी अनिश्चितकाल के लिये टाल दी.
सरबजीत के परिवार का कहना है कि उसने नशे की हालत में सीमा गलती से पार कर ली थी और उसे हमलों के मामले में गलत तरीके से आरोपी बनाया गया.