सत्य साईं को को पूरे राजकीय सम्मान के साथ समाधि दे दी गई. दुनियाभर में अपने संदेशों से लाखों लोगों को प्रभावित करने वाले सत्य साईं बाबा को उसी स्थान पर समाधि दे दी गयी जहां से सालों से वह अपने भक्तों को दर्शन और उपदेश देते आ रहे थे.
पूर्ण पुलिस सम्मान के साथ 85 वर्षीय साईं बाबा को अंतिम विदाई दी गई और उनके अंतिम संस्कार की विधि उनके भतीजे आरजे रत्नाकर ने वैदिक परंपराओं के साथ संपन्न की, जिसके बाद उनकी पार्थिव देह को ‘साईं’ मंत्रों के बीच समाधि दे दी गयी.
आम और खास दोनों तरह के लोगों के आध्यात्मिक गुरु रहे साईं बाबा के अंतिम संस्कार के समय आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा, आंध्र प्रदेश के राज्यपाल ईएसएल नरसिंहन, भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, एम. वेंकैया नायडू, बंडारू दत्तात्रेय, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, पूर्व केंद्रीय मंत्री शिवराज पाटिल और बाबा के सैकड़ों भक्त मौजूद थे.
वैदिक पंडितों द्वारा अंतिम विधि संपन्न किये जाने के बाद सुबह करीब पौने दस बजे लाल पर्दे डाल दिये गये और प्रशांति निलयम के साई कुलवंत हॉल में उसी स्थान पर समाधि की प्रक्रिया शुरू की गयी जहां से सत्य साई सालों से अपने भक्तों को उपदेश देते आ रहे थे.
जिस स्थान पर सत्यसाई को समाधि दी गयी है वहां उनका स्मारक बनाया जा सकता है. केवल 14 साल की उम्र में स्वयं को शिरडी साईबाबा का अवतार घोषित करने वाले साईबाबा ने जहां अपने चाहने वालों को अनेक तरह के चमत्कार दिखाए वहीं उनके द्वारा संचालित ट्रस्ट ने अनेक स्कूलों, अस्पतालों आदि की स्थापना की और उनके नाम से कई विकास और परोपकार के कार्य किये जा रहे हैं.
सत्य साईं बाबा ने गत रविवार को सुबह के समय अपनी देह त्यागी. इससे पहले वह करीब एक माह से अस्वस्थ थे और उनके शरीर के प्रमुख अंगों ने काम करना बंद कर दिया था. बाबा को 28 मार्च को हृदय और श्वसन संबंधी समस्याओं के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
पिछले दो दिन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, अनेक दलों के नेताओं, कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के अलावा क्रिकेट, उद्योग जगत और विविध क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों और आम जनता ने पुट्टपर्थी में बाबा के अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. माना जा रहा है कि देश और विदेश के करीब पांच लाख लोग अपने आध्यात्मिक गुरु के अंतिम दर्शन के लिए पुट्टापर्थी पहुंचे.
अंतिम संस्कार की विधि के बाद डाले गये पर्दों को 40 मिनट बाद हटा दिया गया और मौजूद लोगों ने सत्यसाई की समाधि के दर्शन किये. आंध्र प्रदेश के राज्यपाल नरसिंहन और मुख्यमंत्री रेड्डी, आडवाणी, चंद्रबाबू नायडू तथा अन्य नेताओं ने समाधि के पास जाकर दर्शन किये, बाबा के भतीजे रत्नाकर से बात की और समाधि के स्थान पर विभूति (भभूत) छिड़की.
इससे पहले नौ बजने से कुछ समय पूर्व ही कांच के उस पात्र को हटा लिया गया, जिसमें सत्य साईं की पार्थिव देह रविवार रात से अंतिम दर्शन के लिए रखी हुई थी. इसके बाद बाबा के पार्थिव शरीर को कुछ समय के लिए तिरंगे में लपेटा गया. आंध्र प्रदेश सशस्त्र पुलिस के जवानों ने सत्य साईं की अंतिम विदाई के मौके पर सम्मान में हवा में 21 गोलियां चलाईं.
इसके बाद तिरंगे को हटा लिया गया और हिंदू, ईसाई, मुस्लिम, सिख, यहूदी व बौद्ध धर्म के धर्मगुरुओं व संतों ने अपने-अपने धर्मग्रंथों के मंत्रों छंदों का पाठन किया. इसके बाद उन्होंने समाधि स्थल पर विभूति छिड़की और मंगल आरती की गयी.
साईं बाबा की पार्थिव देह उनके पसंदीदा भगवा रंग के परिधान में लिपटी थी और भतीजे रत्नाकर ने अंतिम संस्कार संपन्न कराया. वैदिक मंत्रोच्चार के समय रत्नाकर अपने आंसू नहीं रोक सके और रो पड़े. रत्नाकर 40 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति वाले सत्य साईं केंद्रीय ट्रस्ट के सदस्य हैं और माना जा रहा है कि वह इस ट्रस्ट के प्रमुख पद के दावेदार हैं.
साईं बाबा के अंतिम संस्कार के समय उनके पार्थिव शरीर पर पवित्र नदियों के जल के साथ ही गौमूत्र छिड़का गया. विधि संपन्न कराने वाले पुजारियों को गौदान के साथ शहद, घी और रेशम का दान किया गया. अंतिम संस्कार के बाद हॉल में मौजूद लोग समाधि के दर्शन के लिए उमड़ पडे.