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नर्मदा नदी के बचाव के लिए एमपी में वैज्ञानिक पहल

मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी के बचाव के लिए ऐसी वैज्ञानिक पहल होने जा रही है जो अब तक देश की किसी भी नदी के लिए नहीं हुयी है.

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मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी के बचाव के लिए ऐसी वैज्ञानिक पहल होने जा रही है जो अब तक देश की किसी भी नदी के लिए नहीं हुयी है.

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नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के सूत्रों ने बुधवार को बताया कि यह पहल नर्मदा जल के जैव अन्वेषण के साथ-साथ उन भौतिक और रासायनिक प्रक्रियाओं के अध्ययन पर निर्भर होगी, जो नदी के जल को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए जरुरी है.

नर्मदा के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए प्राधिकरण द्वारा तैयार की जा रही इस कार्ययोजना की विशेषता यह है कि यह प्रदूषण के बाहरी कारकों के साथ ही जल के जैविक अनुसंधान और भौतिक और रासायनिक प्रक्रियाओं पर ध्यान केन्द्रित कर मानकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी.

नर्मदा के बचाव की इस अवधारणा को नर्मदा बायो हेल्थ मानिटरिंग नाम दिया गया है. इसके जनक प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ओ पी रावत हैं.उन्होंने बताया कि गंगा और देश की अन्य बड़ी नदियों को प्रदूषण मुक्त रखने की अब तक लागू की गयी बड़े बजट की कई परियोजनाओं के अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आए हैं जिसे ध्यान में रखते हुए नर्मदा को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए कनाडा ऑस्ट्रेलिया फ्रांस आदि देशों में नदियों के स्वास्थ्य अनुसंधान और अध्ययन की तर्ज पर नर्मदा ‘बायो हेल्थ मानिटरिंग’ प्रणाली विकसित की गयी है.

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अग्रवाल ने महेश्वर परियोजना के इस दावे को पूरी तरह गलत बताया है कि परियोजना से बनने वाली बिजली की कीमत छह रुपये प्रति यूनिट होगी. उन्होंने कहा कि उर्जा मंत्रालय की 19 अक्टूबर 2011 की बैठक के जिन मिनिट्स में महेश्वर परियोजना की बिजली की कीमत 9.97 रुपये प्रति यूनिट बतायी गयी है, उसमें श्री महेश्वर हाइडल पावर कापरेरेशन के अध्यक्ष मुकुल कासलीवाल स्वयं मौजूद थे और उन्होंने इस कीमत पर अपनी सहमति दर्शायी थी.

उन्होंने कहा कि नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा परियोजना से संबंधित समाझौतों को रद्द करने की मांग प्रदेश की जनता को आने वाले वष्रो में परियोजना की अत्यंत महंगी बिजली होने के कारण बर्बाद होने वाले हजारों करोड़ रुपये बचाने के साथ-साथ इस परियोजना से डूब में आने वाले 61 गांवों के हजारों परिवारों एवं सैकड़ों एकड़ उपजाऊ जमीन बचाने के लिये की जा रही है.

अग्रवाल ने कहा कि नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा यह मांग भी की गयी है कि सीबीआई से इस बात की भी जांच करायी जाये कि महेश्वर परियोजना के अलाभदायक होने के बावजूद क्यों आम जनता के 2500 करोड़ रुपये इस परियोजना में लगाये गये.उन्होंने कहा कि नर्मदा बचाओ आंदोलन परियोजना से जुड़े उपरोक्त करोड़ों रुपये के सार्वजनिक पैसे की अनियमितताओं के संबंध में परियोजनाकर्ता एवं सभी संबंधित पक्षों को न्यायालय में ले जाया जायेगा.

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