मुंबई में बांद्रा-वरली सीलिंक के दूसरे चरण के उद्घाटन समारोह में अपनी मौजूदगी पर उठे विवाद को लेकर अमिताभ बच्चन ने अपने विरोधियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इस मुद्दे पर विवाद जानबूझकर पैदा किया गया है.
मेगास्टार ने कहा कि इस कार्यक्रम के बारे में अखबारों में आधा पृष्ठ का विज्ञापन दिया गया था. उन्होंने यह बात परोक्ष रूप से मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के उस बयान के जवाब में कही है जिसमें चव्हाण ने कहा था कि अगर उन्हें बच्चन के वहां होने के बारे में पता होता तो वह उसमें शरीक नहीं होते.
बच्चन ने कहा, ‘मुझे आमंत्रित किया गया था. मुझे लोकनिर्माण विभाग के मंत्री से उनके लेटर हेड पर औपचारिक आमंत्रण मिला था.’ यह विभाग प्रदेश में गठबंधन की सहयोगी पार्टी राकांपा के पास है.
बुधवार को बांद्रा वरली सीलिंक के दूसरे चरण के उद्घाटन के मौके पर बच्चन की मौजूदगी से मुंबई के कांग्रेसियों की नाराजगी के बारे में उन्होंने कहा, ‘मैं वहां था. बेहद अच्छा कार्यक्रम था. इसके बाद क्या हुआ, यह उनकी समस्या है, मेरी नहीं.’
सीलिंक का उद्घाटन करने वाले चव्हाण ने कहा ‘वह (बच्चन) दूसरे राज्य के ब्रांड एम्बेसडर हैं. हम चाहेंगे हमारे राज्य का विकास हो. अगर मुझे उनकी वहां मौजूदगी का पता होता तो शायद में उसमें शिरकत नहीं करता.’ बच्चन ने कहा कि उन्होंने 25 साल पहले राजनीति छोड़ दी थी और वह किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़े हुए है.
अमिताभ ने अपने ब्लाग में लिखा है, ‘मेरी भागीदारी पर नया विवाद पैदा किया जा रहा है. सी लिंक पर समारोह होने के बाद से मीडिया मेरे पीछे पड़ा हुआ है.’ हालांकि, सार्वजनिक उपक्रम मंत्री और एमएसआरडीसी के चेयरमैन जयदत्त क्षीरसागर ने अमिताभ बच्चन को बुलाने के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि वह एक महानायक हैं.
दिल्ली में भाजपा प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने कहा, ‘बांद्रा-वरली सी लिंक कांग्रेस की नहीं बल्कि राष्ट्रीय संपत्ति है. हर भारतीय को वहां होने का अधिकार है. निस्संदेह अमिताभ बच्चन देश का गौरव हैं और एक प्रतिष्ठित मुंबईवासी हैं, जो वहां मुख्य अतिथि होने के पूरे हकदार हैं.’
कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने संवाददाताओं से कहा ‘जो कुछ हुआ उससे पार्टी वाकिफ है. मुख्यमंत्री पहले ही स्पष्टीकरण दे चुके हैं. पार्टी कार्यकर्ता नाखुश इसलिये हैं कि बच्चन ने खुद को मोदी से जोड़ा है.’ बच्चन ने कहा कि जो गुजरात के साथ संबंधों को लेकर नाराज हैं उनके पास राज्य में निवेश करने एवं सफल उद्यम चलाने से ‘किसी रतन टाटा अथवा किसी अम्बानी’ को रोकने का साहस नहीं है.
उन्होंने कहा ‘क्या आपके पास उन्हें यह कहने का साहस है कि राज्य से संबंध न रखें अपना पूरा निवेश और मानवश्रम वहां से वापस ले लें मैं सोचता हूं कि नहीं. आप किसी मामले में राजनीति ला सकते हैं लेकिन उस व्यक्ति का क्या होगा जो गैर राजनीतिक है. यह वाकई शर्मनाक है.’