सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी के आवासीय इलाकों में अनाधिकृत व्यावसायिक इकाइयों की सीलिंग पर रोक के अपने आदेश को मार्च तक बढ़ा दिया है और अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि इस अवधि में नये सिरे से कोई अतिक्रमण या नियमन की अनुमति नहीं दी जाए.
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की पीठ ने कुछ व्यावसायिक संस्थानों की याचिकाओं पर यह निर्देश दिया. उन्होंने उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त निगरानी समिति के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें पांच दिसंबर, 2011 से इन परिसरों में सीलिंग का फैसला किया गया था.
शीर्ष अदालत ने कहा कि डीडीए, एमसीडी और एमडीएमसी से संबंधित अधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि इलाके में सरकारी जमीन पर आगे कोई अतिक्रमण नहीं किया जाए.
पीठ ने निर्देश जारी करते हुए कहा, ‘यदि डीडीए चाहे तो एक भी ईंट नहीं रखी जा सकती.’ शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि कोई भी प्राधिकार या अधिकारी किसी अनाधिकृत निर्माण के नियमन का आदेश जारी नहीं करेगा.
पीठ ने कहा कि वह मार्च में निगरानी समिति की रिपोर्ट, उसके समक्ष दाखिल अनेक आवेदनों और मास्टर प्लान दिल्ली.2021 का अध्ययन करेगी.