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मालेगांव विस्फोट की फिर से जांच करेगी सीबीआई

वर्ष 2006 के मालेगांव विस्फोट मामले में उस समय एक नया मोड़ आ गया, जब एक विशेष अदालत ने स्वामी असीमानंद की ‘स्वीकारोक्ति’ को देखते हुए सीबीआई को इस मामले की फिर से जांच करने की अनुमति दे दी.

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वर्ष 2006 के मालेगांव विस्फोट मामले में उस समय एक नया मोड़ आ गया, जब एक विशेष अदालत ने स्वामी असीमानंद की ‘स्वीकारोक्ति’ को देखते हुए सीबीआई को इस मामले की फिर से जांच करने की अनुमति दे दी.

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असीमानंद के बयान के बाद सीबीआई ने मकोका अदालत के समक्ष एक आवेदन किया था. असीमानंद ने एक मजिस्ट्रेट के समक्ष कहा था कि एक हिंदू गुट ने वर्ष 2006 में मालेगांव विस्फोट को अंजाम दिया था. इस विस्फोट में 37 लोगों की मौत हो गई थी और 100 लोग घायल हो गये थे.

सीबीआई की दलीलों को स्वीकार करते हुए विशेष मकोका न्यायाधीश यतिन डी शिंदे ने एजेंसी को आपराधिक दंड संहिता की धारा 173 (8) के तहत इस विस्फोट की फिर से जांच करने का आदेश दिया.

सीबीआई के वकील एजाज खान ने कहा, ‘‘असीमानंद के अपनी स्वीकारोक्ति में नये तथ्यों का खुलासा किए जाने के बाद हमें इस विस्फोट मामले में आगे की जांच करना है.’’ असीमानंद उर्फ जतिन चटर्जी ने अपने बयान में कहा था कि आरएसएस के कार्यकर्ता सुनील जोशी और अन्य मालेगांव विस्फोट के लिये जिम्मेदार थे. इन दोनों की हत्या कर दी गई थी.

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