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अधिक सतर्कता से गहरा सकती है वैश्विक मंदी: टाटा

टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा ने आगाह किया है कि भारत और चीन जैसे देशों में मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये वित्तीय क्षेत्र में बरती जा रही सतर्कता एक बार फिर वैश्विक मंदी का कारण बन सकती हैं.

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रतन टाटा
रतन टाटा

टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा ने आगाह किया है कि भारत और चीन जैसे देशों में मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये वित्तीय क्षेत्र में बरती जा रही सतर्कता एक बार फिर वैश्विक मंदी का कारण बन सकती हैं.

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टाटा समूह की कंपनी टाटा मोटर्स की 2010-11 की वार्षिक रिपोर्ट में शेयरधारकों के नाम दिये संदेश में टाटा ने कहा है, ‘‘मुद्रास्फीति स्वास्‍थ्‍य आर्थिक वृद्धि के रास्ते में सचमुच एक छुपा हुआ दुश्मन है और इसपर काबू पाने की आवश्यकता है.’’

इसके बावजूद उन्होंने कहा है कि मुद्रास्फीति पर काबू पाने और आर्थिक वृद्धि को बढाने के बीच संतुलन रखा जाना चाहिये. यदि ऐसा नहीं किया गया तो दुनिया में एक बार फिर मंदी छा सकती है.

टाटा ने कहा है ‘‘सबसे बड़ी चिंता इस बात को लेकर है कि कहीं ऐसी स्थिति न आ जाये जिसमें घड़ी का पेंडुलम पीछे के दिशा में ज्यादा दूर तक चला जाये और वैश्विक स्तर पर फिर से मंदी छा जाये, हालांकि इस बार यह मंदी संपत्तियों के उच्च मूल्यांकन की वजह से नहीं बल्कि ज्यादा वित्तीय सतर्कता अथवा वित्तीय बंदिशों की वजह से होगी.’’

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नमक से लेकर इस्पात तक बनाने वाले 67.4 अरब डालर के टाटा समूह के मुखिया ने कहा है कि 2012 और उसके बाद विश्व अर्थव्यवस्था की सेहत एशिया की आर्थिक सेहत पर निर्भर करेगी. उन्होंने कहा है कि एशिया की आर्थिक सेहत इस बात पर निर्भर करेगी कि क्षेत्र में मुद्रास्फीति का काबू में रखने के लिये कितने कड़े उपाय किये जाते हैं. ये उपाय जितने कड़े होंगे उतना ही एशिया में आर्थिक सुस्ती जोर पकड़ेगी.

उन्होंने कहा है ‘‘उम्मीद की जाती है कि एशियाई देशों में बेहतर संतुलन रखा जायेगा. इस बात का ध्यान रखा जायेगा कि ये देश अपने करोड़ों लोगों और दुनिया के शेष बाजारों के लिये आर्थिक वृद्धि और नवोन्‍नतपाद एवं समृद्धि का स्रोत बने रहेंगे.’’

टाटा ने कहा है कि पेट्रोलियम पदार्थों के ऊंचे दाम के साथ साथ ऊंची ब्याज दर और कर्ज के कड़े प्रावधानों से भारत और चीन में आटोमोबाइल सहित अन्य उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में तेज गिरावट आयेगी.

उन्होंने कहा है कि वर्ष 2010-11 एशिया में उच्च आर्थिक वृद्धि का साल रहा है, लेकिन अब चीन और भारत में तिमाही आंकडे कम हो रहे हैं. मुद्रास्फीति बढ़ रही है और दोनों ही देशों के केन्द्रीय बैंक ने इसे काबू में रखने के लिये आर्थिक वृद्धि की गति धीमा करने के उपाय किये हैं.

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टाटा ने कहा है कि इन उपायों के परिणाम स्वरूप आर्थिक वृद्धि की गति धीमी पड़ रही है और आटोमोबाइल सहित विभिन्न वस्तुओं की मांग पर असर पड़ेगा. उन्होंने कहा ‘‘भारत में आटोमोबाइल की बिक्री कम होनी शुरू हो गई है. चीन में पिछले दो साल में पहली बार आटोमोबाइल बिक्री कम हुई है.’’

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