वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अर्जुन सिंह का निधन हो गया है. वह 81 वर्ष के थे. दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में उन्होंने आखिरी सांसें लीं. सिंह को कुछ दिन पहले सीने में दर्द और मस्तिष्क संबंधी समस्याओं के चलते अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था.
उन्होंने शुक्रवार शाम करीब साढ़े पांच बजे सांस लेने में दिक्कत होने की शिकायत की. सूत्रों ने बताया कि दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्होंने शाम करीब सवा छह बजे अंतिम सांस ली. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत अनेक महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को संभाल चुके सिंह को गांधी परिवार के प्रति निष्ठावान माना जाता था.
80 के दशक में राजीव गांधी के समय वह कांग्रेस के उपाध्यक्ष रहे और पंजाब में जिस वक्त उग्रवाद चरम पर था, वहां के राज्यपाल भी रहे. राजीव-लोंगोवाल समझौते में उनकी विशेष भूमिका रही थी. विचित्र संयोग है कि शुक्रवार के दिन ही सिंह का नाम कांग्रेस की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था कांग्रेस कार्यसमिति से हटाया गया और उन्हें स्थाई आमंत्रित सदस्य मनोनीत किया गया. सिंह के परिवार में पत्नी सरोज देवी, दो पुत्र अजय सिंह (विधायक, मध्य प्रदेश) और अभिमन्यु तथा एक पुत्री वीणा हैं. {mospagebreak}
अर्जुन सिंह का जन्म 5 नवंबर 1930 को हुआ था. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कैबिनेट में 2004 से 2009 तक वो मानव संसाधन विकास मंत्री थे. वह मध्य प्रदेश के रेवा की चुरहट जागीर के से संबंधित थे.
अर्जुन सिंह पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की कैबिनेट में भी मंत्री थे लेकिन बाबरी विध्वंस के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद उन्होंने नारायण दत्त तिवारी के साथ मिलकर ऑल इंडिया इंदिरा कांग्रेस (तिवारी) की स्थापना की लेकिन 1996 में हुए लोकसभा चुनावों में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा.
बाद में वो दुबारा कांग्रेस में शामिल हो गए लेकिन एक बार फिर होशंगाबाद से वो चुनाव हार गए. अर्जुन सिंह तीन बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और साथ ही कुछ समय के लिए पंजाब के राज्यपाल भी रहे. वर्ष 2000 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद के पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था.