महंगाई डायन आम लोगों को ही नहीं, बल्कि शेयर निवेशकों का मुनाफा भी खाए जा रही है. महंगाई पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा प्रमुख दरें बढ़ाने के आसार को देखते हुए शेयर बाजार में भारी बिकवाली हुई जिससे बीएसई सेंसेक्स 19,000 से नीचे बंद हुआ.
बांबे स्टाक एक्सचेंज का सेंसेक्स 322.38 अंक टूटकर 18,860.44 अंक पर बंद हुआ. सेंसेक्स ने यह स्तर इससे पहले 9 सितंबर, 2010 को देखा था. 10 से 14 जनवरी के बीच सेंसेक्स 832 अंक गंवा चुका है.
इसी तरह, नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी भी 97.35 अंक की गिरावट के साथ 5,654.55 अंक पर बंद हुआ. बिकवाली की मार सबसे अधिक रीयल्टी, बैंकिंग और वाहन कंपनियों के शेयरों पर पड़ी.
अन्य एशियाई बाजारों में कमजोर रुख और यूरोपीय बाजारों के कमजोरी के साथ खुलने का भी घरेलू शेयर बाजार की धारणा पर असर पड़ा. दिसंबर में मुद्रास्फीति बढ़कर 8.43 प्रतिशत पर पहुंच गई जो इससे पूर्व माह में 7.48 प्रतिशत पर थी. {mospagebreak}
विश्लेषकों ने कहा कि मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी की रपटों ने निवेशकों का उत्साह ठंडा कर रखा है. वहीं एफआईआई द्वारा निवेश घटाने से भी बाजार की धारणा कमजोर हुई.
गिरावट दर्ज करने वाले शेयरों में रीयल्टी, बैंकिंग और आटो कंपनियां प्रमुख रहीं. दिसंबर में समाप्त तिमाही में लाभ में 33 प्रतिशत की बढ़त दर्ज करने के बावजूद एचडीएफसी का शेयर 3.95 प्रतिशत टूटकर बंद हुआ. वहीं एचडीएफसी बैंक का शेयर 4.16 प्रतिशत टूटकर बंद हुआ. आईसीआईसीआई बैंक 1.64 प्रतिशत और एसबीआई 2.28 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ. वाहन खंड में टाटा मोटर्स 4.62 प्रतिशत, जबकि बजाज आटो 3.09 प्रतिशत गिरावट के साथ बंद हुआ.
वहीं रीयल्टी शेयरों में जयप्रकाश एसोसिएट्स 2.4 प्रतिशत और डीएलएफ 2.3 प्रतिशत गिरावट के साथ बंद हुआ. सेंसेक्स में शामिल 30 में से केवल पांच कंपनियों के शेयर बढ़त के साथ बंद हुए जिनमें टाटा पावर और विप्रो शामिल हैं.
जहां टाटा पावर का शेयर 2.11 प्रतिशत चढ़ा, वहीं विप्रो में 1.77 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई. मेटल शेयरों में स्टरलाइट इंडस्ट्रीज 3.45 प्रतिशत और टाटा स्टील 2.47 प्रतिशत टूटकर बंद हुआ.