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नववर्ष में 24 हजारी बन सकता है सेंसेक्स

तेज आर्थिक वृद्धि और रिकार्ड पूंजी अंतर्प्रवाह के बीच वर्ष 2010 में देश के शेयर बाजारों की तेजी ने वर्ष 2011 के लिए नयी उम्मीदें जगा दी हैं. बाजार विश्लेषकों की मानें तो बांबे बाजार का दिग्दर्शक सूचकांक- सेंसेक्स 24 हजारी भी हो सकता है.

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तेज आर्थिक वृद्धि और रिकार्ड पूंजी अंतर्प्रवाह के बीच वर्ष 2010 में देश के शेयर बाजारों की तेजी ने वर्ष 2011 के लिए नयी उम्मीदें जगा दी हैं. बाजार विश्लेषकों की मानें तो बांबे बाजार का दिग्दर्शक सूचकांक- सेंसेक्स 24 हजारी भी हो सकता है.

इस समय 30 सबसे अधिक खरीदे बेचे जाने वाले सबसे प्रतिष्ठित शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 20,500 से कुछ उपर है.

वर्ष 2010 के आखिरी तीन सप्ताह सेंसेक्स में कुल मिला का बढत दर्ज की गयी. अंतिम सप्ताह में सेंसेक्स और नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी- दोनों ही लगभग दो प्रतिशत की तेजी दर्शाते बंद हुए.

बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स पिछले सप्ताह पहले दो दिन गिरकर 19,981.76 अंक तक चला गया था. लेकिन सप्ताहांत में 2.17 प्रतिशत की तेजी के साथ 20,509.09 पर बंद हुआ.

वर्ष 2010 में, देश में एक के बाद एक बड़े घोटालों का भांडाफोड़ होने, वैश्विक बाजारों के संकेत अच्छे न होने तथा मुद्रास्फीति और ब्याज दर के दबावों के बावजूद भारतीय बाजार के प्रमुख शेयर सूचकांकों में 17 प्रतिशत से अधिक सुधार रहा. सेंसेक्स में 3,000 अंक से अधिक और निवेशकों की परसम्पत्तियों के बाजार मूल्य में 1,20,000 करोड़ रुपए की वृद्धि दर्ज की गयी.{mospagebreak}

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बाजार विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2011 में भी तेजी जारी रहेगी और सेंसेक्स 24,000 से भी उपर जा सकता है. उनका कहना है कि 2010 में वृद्धि मुख्यत: वहन, औषधि, बैंकिंग और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में केंद्रित थी. नए साल में इसमें विस्तार होने की संभावना है. ग्लोबल कैपिटल पीएमएस के प्रमुख केके मित्तल ने कहा,‘ भले ही मुद्रास्फीति बढ रही हो, 2010 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि करीब 9 प्रतिशत पहुंच गयी है, ऐसे में प्रमुख शेयर सूचकांक के कम से कम 24,000 तक पहुंचने की संभावना है,’

शेयर दलाली और निवेश परामर्श कंपनी कान्वेक्सिटी सोल्यूशन्स के प्रबंध निदेशक और मुख्यकार्यकारी सुदीप बंद्योपाध्याय ने चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर में तेजी की भविष्यवाणी की पर उन्होंने के सावधानी के कुछ शब्द भी जोड़े. बंद्योपाध्याय ने कहा,‘2011 करो या मरो का वर्ष होगा, उदारीकरण के बाद पहली बार इस साल देश के सामने आर्थिक वृद्धि के मामले में चीन को मौका है.’

यूनीकोन सिक्यूरिटीज की उपाध्यक्ष अनुसंधान मधुमिता घोष ने कहा,‘हमें उम्मीद है कि भारत की आर्थिक वृद्धि को देखते हुए विदेशी संस्थागत निवेशक और धन लगाएंगे.’ पर विश्लेषकों का यह भी कहना है कि उच्च मुद्रास्फीति और ब्याज दर से खेल बिगड़ सकता है.

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समाप्त हुए वर्ष में विदेशी संस्थानों ने रिकार्ड 1.33 लाख करोड़ रूपये का निवेश किया है. सेंसेक्स आधारित 30 शेयरों में से 28 शेयरों में मामूली से लेकर अच्छा लाभ दर्ज हुआ केवल ओएनजीसी और रिलायंस इंफ्रा के शेयर मामूली हानि के साथ बंद हुए.

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