मध्य प्रदेश में विपक्षी दल कांग्रेस ने आंगनवाड़ी के बच्चों में कुपोषण रोकने के तर्क के साथ मुरमुरे बांटने के राज्य सरकार के फैसले को हास्यास्पद बताया है. साथ ही इसे सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के खिलाफ बताया.
विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह ने कहा, ‘सरकार के सोचने-समझने की शक्ति समाप्त हो गई है, इसलिए वह कुपोषित बच्चों के साथ प्रयोग पर उतर आई है. सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2004 में स्पष्ट आदेश दिया था कि कुपोषित बच्चों को पका हुआ भोजन ही दिया जाए और भोजन बनाने व वितरण का काम स्थानीय स्वयं सहायता समूहों को दिया जाए, लेकिन राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को दरकिनार करते हुए बच्चों को मुरमुरा बांटने का निर्णय लिया है.’
दलिया, खिचड़ी और लप्सी के स्थान पर मुरमुरे को पौष्टिक बताए जाने के राज्य सरकार के निर्णय पर अफसोस जताते हुए अजय ने कहा, ‘जिस राज्य के 52 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हों, वहां मुरमुरे से उनका कुपोषण दूर करने का राज्य मंत्रिमंडल का निर्णय निश्चित तौर पर सरकार की नीयत व नीति दोनों पर सवाल खड़े करता है.’
उन्होंने कहा कि कुपोषण समाप्त करने की सरकार की नीति शुरू से ही सवालों के घेरे में रही है. इस नीति में कुपोषित बच्चों को पोषण का संरक्षण करने की बजाए उन ठेकेदारों के हितों का ज्यादा ध्यान रखा गया है, जो इसकी आपूर्ति से जुड़े हैं. सरकार के आधे दर्जन से अधिक मंत्रियों के विरोध के बावजूद मंत्रिमंडल ने यह निर्णय लेकर जाहिर कर दिया है कि उसे आपूर्तिकर्ताओं की ज्यादा चिंता है.