राष्ट्रीय जनतांतित्रक गठबंधन (राजग) संयोजक एवं जनता दल (यूनाइटेड) अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के निर्णय को केन्द्र सरकार वापस ले अथवा विपक्ष के काम रोको प्रस्ताव को मंजूर कर संसद में उस पर बहस कराए.
यादव ने जद (यू) प्रदेश मुख्यालय पर कहा, ‘केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह खुदरा व्यापार में एफडीआई के निर्णय को ‘रोल बैक’ करे अथवा संसद में विपक्ष के कामरोको प्रस्ताव पर चर्चा कराए. इस बारे में समूचा विपक्ष एकमत है.’ उन्होने कहा कि अन्ना हजारे के जनलोकपाल विधेयक लाने के लिए हुए आंदोलन के दौरान तो सरकार संसद को सर्वोच्च बताती रही, लेकिन जब खुदरा व्यापार में एफडीआई का मुद्दा आया, तो उसने संसद में निर्णय कराने के बजाए खुद को सर्वोच्च साबित कर दिया. यह दोहरा मापदंड कैसे चलेगा. संसद के चलते सरकारी स्तर पर ऐसे निर्णय नहीं होने चाहिए.
राजग संयोजक ने कहा कि जनमत के सामने केन्द्र सरकार को झुकना ही पड़ेगा, क्योंकि लोकसभा में इस मुद्दे पर उसके पास आवश्यक बहुमत नहीं है. उन्होने कहा कि शनिवार को मेरी तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बेनर्जी से फोन पर हुई बातचीत नितांत निजी चर्चा थी, लेकिन पता नहीं कैसे वह मीडिया में फैल गई. उन्होने कहा कि लोकसभा के नेता एवं केन्द्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी खुदरा व्यापार में एफडीआई मुद्दे पर सदन में बयान देंगे.
उल्लेखनीय है कि मुखर्जी से बातचीत के आधार पर ममता ने कोलकाता में कहा था कि खुदरा व्यापार में एफडीआई के निर्णय को निलंबित किया गया है. उन्होने कहा कि जब तक इस पर आम सहमति नहीं बनती, इसे निलंबित रखा जाएगा. यादव ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार की पहल पर यह तय हो चुका था कि सदन में पहले महंगाई पर चर्चा होगी तथा उसके बाद काला धन एवं भ्रष्टाचार के मामले पर विपक्ष के कामरोको प्रस्ताव पर बहस होगी, लेकिन उसी रात केन्द्रीय मंत्रिमण्डल ने खुदरा व्यापार में एफडीआई को मंजूरी देकर एक नया बवाल खड़ा कर दिया, जिससे संसद ठप्प हो गई.
राजग संयोजक ने कहा कि पिछले वर्ष मार्च में एक ध्यानाकषर्ण सूचना पर सरकार ने माना था कि खुदरा व्यापार में एफडीआई को हम आम सहमति बनाकर लागू करेंगे, लेकिन उसने इस पर अमल नहीं किया. यह पूछने पर कि भाजपा ने तो अपने चुनाव घोषणा पत्र में एफडीआई का समर्थन किया था, उन्होने कहा कि देश में चुनाव घोषणा पत्र पढ़ता कौन है. चूंकि यह मामला आया, तो आपने कहीं से ढूंढकर इसे पढ़ लिया होगा.
यादव ने कहा कि देश में खुदरा व्यापार से 25 करोड़ लोग जुड़े हुए हैं और मल्टी ब्रांड एफडीआई से ये सभी बेरोजगार हो जाएंगे. देश में वैसे ही रोजगार की कमी है और खुदरा बाजार रोजगार का एक बड़ा साधन है, जिससे फुटपाथ पर दुकान चलाने वाले, मोहल्ले-मोहल्ले घूमकर ठेले पर व्यवसाय करने वाले जैसे लोग जुड़े हुए हैं. मध्यप्रदेश में ‘वालमार्ट’ के चल रहे कुछ खुदरा व्यापार ‘आउटलेट’ को लेकर उन्होने कहा कि यह ‘सिंगल ब्रांड आउटलेट’ होंगे और इस पर सबकी सहमति है.
उनसे पूछा गया था कि राज्य की भाजपा सरकार ने वालमार्ट जैसे आउटलेट को 26 प्रतिशत एफडीआई को मंजूर दे रखी है, यह कैसे काम कर रहा है तो उन्होने कहा कि इस बारे में उन्होने चैम्बर आफ कामर्स के लोगों से कहा है कि वह इन्हें घेरें. हम 26 प्रतिशत तो क्या शून्य प्रतिशत एफडीआई के पक्ष में भी नहीं हैं.