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केंद्र सरकार का हिस्सा बन सकती हूं: शीला दीक्षित

दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित जल्द ही केंद्र सरकार का हिस्सा बन सकती हैं.  इसके संकेत खुद शीला दीक्षित ने दिए हैं.

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दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित जल्द ही केंद्र सरकार का हिस्सा बन सकती हैं.  इसके संकेत खुद शीला दीक्षित ने दिए हैं.

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शीला दीक्षित ने हेडलाइंस टुडे के मैनेजिंग एडिटर राहुल कंवल को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में सियासी गलियारों में हो रही इस चर्चा पर खुद ही मुहर लगा दी है.

आपको बता दें कि हाल ही में मनमोहन मंत्रिमंडल में फेरबदल के दौरान भी चर्चा गरम हुई थी कि शीला दीक्षित को केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है. हालांकि बाद में ये बात सिर्फ अटकल भर रह गई थी.

इंटरव्यू में शीला दीक्षित ने कहा, 'मुझे कांग्रेस हाईकमान से निश्चित तौर पर ऐसे संकेत मिले, हालांकि यह मेरा फैसला नहीं हो सकता. अगर मुझे कोई अन्य जिम्मेदारी मिलती है तो मैं इसके लिए तैयार हूं. यह निर्णय प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष का होगा. मैं मौजूदा भूमिका से खुश हूं. मैं दिल्ली और दिल्लीवालों को बेहद प्यार करती हूं.'

गौरतलब है कि 80 के दशक में उत्तर प्रदेश छोड़ दिल्ली की राजनीति का हिस्सा बनने वाली शीला दीक्षित ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उनके नेतृत्व में दिल्ली में पिछले 15 सालों से कांग्रेस सत्ता में रही है.

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शीला दीक्षित ने कहा, 'जब मैं दिल्ली आई तो यह एक बड़ी चुनौती थी और मैं अपनी भूमिका निभाई. अब मैं फिर नई चुनौतियों के लिए तैयार हूं.'

दिल्ली की मुख्यमंत्री से जब पूछा गया कि क्या दिल्ली विधानसभा चुनावों में लगातार चौथी बार कांग्रेस पार्टी के चुनाव प्रचार का नेतृत्व करेंगी तो उन्होंने इस बात के साफ संकेत दिए कि वे राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा बन सकती हैं.

उन्होंने कहा, 'हां, अगर मैं दिल्ली की मुख्यमंत्री हूं. अगर भूमिका में बदलाव होता है तो नहीं. कुछ भी हो सकता है.'

यह पूछे जाने पर कि क्या अगर वो केंद्र में जाती हैं तो संदीप दीक्षित को कमान मिल सकती है? शीला ने कहा कि वो एमपी हैं, एमएलए नहीं. फैसला पार्टी को करना है.

दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और शहरी विकास मंत्री कमलनाथ के बीच मास्टरप्लान पर वैचारिक मतभेद हैं ये खुद मुख्यमंत्री मानती है. खास मुलाकात में शीला दीक्षित ने कहा कि दिल्ली में हर जगह ऊंची इमारतें नहीं बन सकती हैं.

शीला दीक्षित का कहना है कि दिल्ली में फैसला लेने वाली कई एजेंसियों की वजह से तालमेल की समस्या होती है. बावजूद इसके इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर हुआ है और अभी और बेहतर करना है.

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