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किसने दिखाया जनार्दन द्विवेदी पर जूता?

दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस ब्रीफिंग के दौरान पार्टी महासचिव जर्नादन द्विवेदी पर जूता फेंकने का प्रयास करने वाला सुनील कुमार शर्मा कोई पत्रकार नहीं बल्कि जयपुर में एक कोंचिग संस्थान में पढ़ाने वाला शिक्षक है.

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सुनील कुमार शर्मा
सुनील कुमार शर्मा

दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस ब्रीफिंग के दौरान पार्टी महासचिव जर्नादन द्विवेदी पर जूता फेंकने का प्रयास करने वाला सुनील कुमार शर्मा कोई पत्रकार नहीं बल्कि जयपुर में एक कोंचिग संस्थान में पढ़ाने वाला शिक्षक है.

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सुनील कुमार शर्मा जिस समाचार पत्र (नव संचार पत्रिका) का स्वंय को पत्रकार होने का दावा कर रहा है, उसके संपादक मुकेश मूंड के अनुसार 'सुनील कुमार मेरे साप्ताहिक समाचार पत्र से जुडा हुआ नहीं है बल्कि मेरे कोंचिग संस्थान में विद्यार्थियों को अग्रेंजी पढाया करता था, मैं उसे कई महीने पहले ही निकाल चुका हूं.'

रजिस्ट्रार, भारत के समाचार पत्र के पंजीयन रिकार्ड के अनुसार ‘नव संचार पत्रिका (हिन्दी भाषा में निकलने वाले साप्ताहिक समाचार पत्र) का प्रकाशन 10 नवम्बर 2008 को झुंझुनू के लिए पंजीयन किया गया था और इस समाचार पत्र के संपादक मुकेश मूंड है.’ मूंड ने स्वीकारा कि किन्ही कारणों से नव संचार पत्रिका का प्रकाशन कई महीने से नहीं हो रहा है.

राजस्थान के जन सम्पर्क निदेशालय के निदेशक कुंजी लाल मीणा ने कहा, 'मेरी जानकारी में सुनील कुमार शर्मा पत्रकार नहीं है. नव सचांर पत्रिका के बारे में जांच कराई जा रही है.' सीकर के एक निजी स्कूल विद्या भारती के निदेशक बलवंत सिंह चिराना के अनुसार सुनील कुमार शर्मा अत्यधिक उत्तेजित व्यवहार करने वाला है. उन्होंने बताया, ‘मेरे स्कूल में दो तीन साल तक अग्रेंजी का शिक्षक रहा, फिर मैने उसके गर्म मिजाज के कारण ही उसे स्कूल से निकाला.’

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झुंझुनूं के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के जनसम्पर्क अधिकारी सवाई सिंह और सीकर के जनसम्पर्क अधिकारी राज कुमार के अनुसार सुनील कुमार पत्रकार नहीं है, बल्कि निजी स्कूलों में पढ़ाने वाला शिक्षक एक है. सवाई सिंह के अनुसार, ‘मैने सुनील कुमार को कभी देखा नहीं है और न ही उसका नाम जिलों की पत्रकार सूची में शामिल है.'

झुंझुनूं जनसम्पर्क विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमारी जानकारी में झुंझुनूं में सुनील कुमार शर्मा के नाम से कोई पत्रकार नहीं है और नव संचार पत्रिका समाचार पत्र को हमने कई महिनों से देखा भी नहीं है.’

सीकर के एक समाजसेवी मोहम्मद अशफाक के अनुसार 'सुनील कुमार शर्मा गर्म स्वभाव का आदमी है और सीकर और झुंझुनूं जिले के तीन निजी स्कूलों में अंग्रेजी पढ़ाया करता था. तेज गुस्से के कारण सुनील कुमार अधिक समय तक नौकरी नहीं कर सका और स्कूल प्रबंधन ने बाहर का रास्ता दिखा दिया.

'पाक्षिक समाचार पत्र' नव संचार पत्रिका के संपादक मुकेश मूंड के अनुसार सुनील सीकर जिले के धौद पंचायत समिति का रहने वाला है और कई सालों से सीकर और झुंझनूं जिले के कई निजी स्कूलों और कोंचिग संस्थानों में अंग्रेजी पढाने का काम किया है. सुनील कुमार की पत्नी भी निजी स्कूल में शिक्षिका है इसके अलावा उसके परिवार के बारे में मेरे पास कोई जानकारी नहीं है.

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सीकर के एक निजी स्कूल के निदेशक ने अपना नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, 'सुनील कुमार मूलत सीकर जिले के धौद पंचायत समिति के दिनारपुर का रहने वाला है ओर कई सालों तक असम रहा है. उन्होने याद करते हुए कहा सुनील कुमार वर्ष 1996 में असम से सीकर आया और सीकर के विद्या भारती स्कूल में वर्ष 1997 से 1999 तक अंग्रेजी का शिक्षक रहा.

उन्होंने बताया कि प्रबंधन ने उसे उग्र स्वभाव के कारण निकाल दिया. सुनील कुमार बाद में झुंझुनूं पंहुच कर सैनिक क्लासेज नाम से चलने वाले संस्थान में अंग्रेजी का शिक्षक बन गया. सैनिक क्लासेज का मालिक ही मुकेश मूंड नव संचार पत्रिका का संपादक है.

सुनील कुमार शर्मा के सीकर झुंझुनूं में रहने वाले परिचितों के जब अचानक फोन घनघनाने शुरू हुए और सुनील शर्मा के बारे में सवाल पूछे जाने पर कुछ समय तक तो परिचितों को माजरा ही समझ में नहीं आया लेकिन थोडी देर बाद सभी परिचितों ने या तो किनारा कर लिया या अपने मोबाइल फोन स्वीच ऑफ कर दिये.

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