आईआईटी के छात्रों को उस समय एक बड़ी राहत मिली जब मानव संसाधन मंत्रालय ने देश के प्रतिष्ठित संस्थाओं के स्नातक पाठ्यक्रमों में ट्यूशन फीस में करीब पांच गुणा वृद्धि करने की काकोदकर समिति की सिफारिशों को खारिज कर दिया.
कपिल सिब्बल की अध्यक्षता में आईआईटी परिषद की बैठक में आईआईटी को स्वायत्तता प्रदान करने से संबंधित अनिल काकोदकर समिति की रिपोर्ट पेश की गई. इस रिपोर्ट में आईआईटी के स्नातक पाठ्यक्रमों की ट्यूशन फीस को वर्तमान 50 हजार रुपये प्रतिवर्ष से बढ़ाकर दो से ढाई लाख रुपये प्रति वर्ष करने की सिफारिश की गई थी.
मंत्रालय के सूत्रों ने हालांकि बताया कि सिब्बल ने इस सिफारिश को खारिज करते हुए कहा, ‘इससे इच्छुक मेधावी छात्रों की राह में बाधा उत्पन्न होगी.’ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) को स्वायत्तता और संस्थान के विकास का खाका तैयार करने के लिए अनिल काकोदकर के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया था.
आईआईटी परिषद की बैठक में सिब्बल ने 12वीं योजना अवधि के दौरान 200 करोड़ रुपये की लागत से 50 शोध पार्क स्थापित करने का प्रस्ताव किया. इन शोध पार्क की स्थापना सर्वजनिक निजी भागीदारी के तहत की जा सकती है ताकि शोध कार्यो में निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित किया जा सके. इस प्रकार का एक पार्क चेन्नई में है.
गौरतलब है कि फरवरी 2010 में आईआईटी कानपुर ने ट्यूशन फीस में वृद्धि का प्रस्ताव किया था और सुझाव दिया था कि ट्यूशन फीस में धीरे धीरे 10 वर्षों तक वृद्धि की जाए. इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया था.