देवभूमि के नाम से विख्यात पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में सियासी खींचतान तथा उठापटक के बीच राज्य के वरिष्ठ भाजपा नेता भुवनचंद्र खंडूरी ने विक्रम संवत् के अनुसार अनंत चौदस के दिन राज्य के नये मुख्यमंत्री के रूप में सत्ता संभाल ली.
निशंक का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा | LIVE अपडेट
हालांकि वर्ष 2012 के शुरुआती दिनों में ही होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर खंडूरी ने जोखिम के साथ कांटों भरा ताज पहना है.
भुवन चंद खंडूरी को उत्तराखंड का ताजा | LIVE TV
मुख्यमंत्री के तौर पर दोबारा शपथ लेते ही खंडूरी के समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की और उन्हें बधाई देने की होड़ में आगे जाने का भी प्रयास किया. राज्यपाल मारग्रेट अल्वा ने खंडूरी को रविवार को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. खंडूरी ने अपने चिरपरिचित अंदाज में ईश्वर के नाम पर पद एवं गोपनीयता की शपथ ली.
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद खंडूरी ने कहा कि राज्य की जनता के हित के लिए उन्होंने हमेशा कार्य किया है और आगे भी कार्य करते रहेंगे. भारतीय जनता पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व ने उन पर जो भरोसा जताया है उस पर वह पूरी तरह से खरा उतरने की कोशिश करेंगे.
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उन्होंने कहा कि वह राज्य के कल्याण के लिए वह भाजपा की नीतियों को लगातार आगे बढ़ाते रहेंगे. भाजपा ने हमेशा उत्तराखंड की महान जनता के हितों के लिये कार्य किया है और आगे भी इस कार्य को जारी रखा जायेगा.
उन्होंने कहा कि भाजपा के अथक प्रयासों के चलते ही इस राज्य का गठन किया गया था. वह आन्दोलनकारियों के सपनों का उत्तराखंड बनाने के लिए हमेशा संघर्ष करते रहेंगे.
इसके पूर्व खंडूरी के रविवार को नयी दिल्ली से देहरादून पहुंचने पर हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं और नेताओं ने उनका स्थानीय हेलीपैड पर जबर्दस्त स्वागत किया तथा उनको मालाओं से लाद दिया. खंडूरी समर्थक जोर शोर से नारे भी लगा रहे थे.
निवर्तमान मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने दिन में अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों बंशीधर भगत, मदन कौशिक, खजान दास, गोविन्द सिंह बिष्ट तथा कुछ अन्य लोगों के साथ राजभवन पहुंचकर अपना इस्तीफा राज्यपाल मार्ग्रेट अल्वा को सौंप दिया था. अल्वा ने निशंक का इस्तीफा स्वीकार करते हुए उन्हें अपनी शुभकामनाएं दीं तथा उनके कार्यो की प्रशंसा भी की.
निशंक के इस्तीफा दिये जाने के बाद भाजपा विधायक दल की बैठक में पार्टी नेतृत्व के निर्देशों के अनुसार खंडूरी को नया नेता चुना गया. नेता चुने जाने के बाद खंडूरी ने अल्वा से मिलकर अपना समर्थन पत्र भी सौंपा. अल्वा ने उनके अनुरोध पत्र को स्वीकार कर लिया.
उत्तराखंड में गत लोकसभा चुनावों में राज्य की पांचों सीटों पर हार के बाद खंडूरी को पद छोड़ना पड़ा था. उन्होंने 25 जून 2009 को तत्कालीन राज्यपाल बी. एल. जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था. खंडूरी ने अपने इस्तीफे के आज ठीक 808 दिनों के बाद फिर से इस पर्वतीय राज्य की कमान संभाली है.
उत्तराखंड गठन के बाद भाजपा ने सबसे पहले नित्यानंद स्वामी को मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन वह मात्र 11 महीने तक ही रहे. उसके बाद सत्ता की कमान भगत सिंह कोशियारी को सौंपी गयी. कोशियारी पांच महीने तक मुख्यमंत्री रहे लेकिन चुनाव में हार के बाद कांग्रेस सत्तासीन हुई थी.
वर्ष 2007 में जब भाजपा दोबारा सत्ता में आई तो खंडूरी को मुख्यमंत्री बनाया गया. उनके बाद निशंक को और अब फिर खंडूरी को सत्ता सौंपी गयी है. इस तरह से भाजपा के छह वर्ष के शासनकाल में खंडूरी पांचवें मुख्यमंत्री हैं. राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के बारे में, देहरादून में कार्यरत शिक्षक किशोर सिंह बिष्ट ने कहा कि खंडूरी की साफ सुथरी छवि का आगामी चुनावों में पार्टी को लाभ तो होगा लेकिन समय कम रहने के चलते यह कार्यकाल खंडूरी के लिये भारी साबित होगा. उन्होंने कहा कि खुद पार्टी अध्यक्ष ने माना है कि निशंक पर कोई आरोप नहीं था . ऐसे में उनको आनन फानन में हटाये जाने का फैसला लोगों के गले से जल्दी नीचे नहीं उतरेगा .
सामाजिक कार्यकर्ता पंकज चौहान ने कहा कि निशंक को हटाकर पार्टी ने विपक्ष को एक नया मुद्दा दे दिया है. हालांकि पार्टी को खंडूरी के अनुभव का लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि खंडूरी के लिये यह कार्यकाल अत्यन्त जोखिम भरा होगा. पार्टी नेतृत्व ने उन्हें ऐसे समय में यह जिम्मेदारी सौंपी है जब पूरे देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों में चेतना जागृत हुई है.
खंडूरी की पत्नी अरुणा खंडूरी ने पार्टी नेतृत्व के फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह सच्चाई और ईमानदारी की जीत है. हाल ही में भाजपा को छोड़ उत्तराखंड रक्षा मंच का गठन करने वाले पूर्व सांसद टीपीएस रावत ने कहा है कि निशंक को हटाया जाना मंच की पहली जीत है.