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बिहार में बड़ी संख्या में खुलेंगे कौशल केंद्र

बिहार के शिक्षा मंत्री प्रशांत कुमार शाही ने वीरवार को कहा कि राज्य की श्रम शक्ति को कुशल, बेरोजगारों को रोजगार के योग्य बनाने और उद्यमिता के विकास के लिए बड़ी संख्या में कौशल केंद्र खोले जायेंगे.

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बिहार के शिक्षा मंत्री प्रशांत कुमार शाही ने वीरवार को कहा कि राज्य की श्रम शक्ति को कुशल, बेरोजगारों को रोजगार के योग्य बनाने और उद्यमिता के विकास के लिए बड़ी संख्या में कौशल केंद्र खोले जायेंगे.

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शाही ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘राज्य में बड़ी संख्या में श्रम शक्ति को कुशल बनाने की दरकार है. राज्य से बाहर जाने वाले कामगार को उनकी योग्यता के अनुरूप मेहनताना मिल सके और लोगों में उद्यमिता का विकास हो. इसके लिए आगामी 10 वर्ष में बड़ी संख्या में कौशल विकास केंद्र खोले जायेंगे.’’ उन्होंने कहा कि कौशल केंद्र से प्रशिक्षण प्राप्त लोगों के प्रमाणपत्र के लिए भी सरकार व्यवस्था करेगी. बिहार मुक्त विद्यालयी शिक्षण एवं परीक्षा बोर्ड प्रमाणपत्र देगा. इसके लिए राज्य सरकार, अंतरराष्ट्रीय संस्था थोलान और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) ने कुशल कामगारों की आवश्यकता के संबंध में सर्वे कराया है.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि उद्यमिता बढ़ने से प्रशिक्षण प्राप्त लोग अन्य लोगों को भी रोजगार दे सकेंगे. एक अनुमान के अनुसार बिहार के दो लाख से अधिक लोग राज्य के बाहर टेलरिंग का काम कर रहे हैं. ये व्यावसायिक केंद्र सरकारी स्कूलों, विश्वविद्यालयों में और विशेष केंद्रों के रूप में खोले जा सकेंगे.

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उन्होंने कहा कि ये केंद्र भविष्य की जरूरतों के अनुरूप इवेंट मैनेजमेंट, इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी इनेबल्ड सर्विसेज (आईटीईएस), सिले सिलाये वस्त्र निर्माण और डिजाइनिंग, सेवा क्षेत्र के लिए कुशल कारीगरों को तैयार करेंगे. एनएसडीसी के वरिष्ठ अधिकारी जयकांत सिंह ने बताया कि राज्य में जिलावार कुशल मजदूरों की जरूरतों का सर्वेक्षण किया गया है. जिस प्रकार राज्य में आगामी 10 वर्ष में विभिन्न क्षेत्रों में निवेश होने वाला है, उसके लिए 2.3 करोड़ कुशल कामगारों की जरूरत पड़ेगी. सिंह ने बताया कि राज्य में श्रम शक्ति का 90 फीसदी हिस्सा कृषि कार्य में लगा हुआ है और उसे प्रशिक्षित करने की दरकार है. यह क्षेत्र राज्य के कुल राजस्व का 18 फीसदी हिस्सा योगदान करता है. इसलिए कुशल प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाते समय कृषि कार्य में लगे कामगारों पर अधिक ध्यान दिया जाएगा ताकि वे खाद्य प्रसंस्करण, दुग्ध उद्योग, डिब्बाबंद पैकिंग आदि के गुर सीख सकें.

उन्होंने कहा कि बिहार के बड़ी संख्या में कामगार कम पढे़ लिखे हैं और ऐसे में मुक्त विद्यालय से दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम के माध्यम से दूर दराज के हिस्सों में कौशल विकास प्रशिक्षण दिये जा सकते हैं.

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