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अब 2141 में दिखेगा ऐसा चंद्रग्रहण

पूर्णिमा की अगली ही रात अपने पूरे शबाब के साथ तारों के साथ आंख मिचौली खेलते चंद्रमा की उजली सतह पर धीरे धीरे पृथ्वी की छाया पड़ने लगी और उसका रंग पहले सुर्ख और फिर स्याह हो गया.

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पूर्णिमा की अगली ही रात अपने पूरे शबाब के साथ तारों के साथ आंख मिचौली खेलते चंद्रमा की उजली सतह पर धीरे धीरे पृथ्वी की छाया पड़ने लगी और उसका रंग पहले सुर्ख और फिर स्याह हो गया. राजधानी सहित पूरा देश सौ मिनट तक चले सदी के इस सबसे लंबे और बेहद अंधियारे चंद्र ग्रहण का साक्षी बना.

नेहरु तारामंडल की निदेशक एन रत्नाश्री ने बताया कि यह सदी का सबसे बड़ा और सबसे गहरा पूर्ण चंद्र ग्रहण था. ऐसा अगला चंद्र ग्रहण 2141 में पड़ेगा.

पूर्ण चंद्रग्रहण की शुरूआत भारतीय समयानुसार 12 बज कर 52 मिनट और 30 सेकंड पर हुई और यह दो बज कर 32 मिनट, 42 सेकंड तक चला. इससे पहले जुलाई 2000 में इससे लंबा चंद्र ग्रहण लगा था.

बुधवार रात चांद की चमक सामान्य से कुछ मद्धम थी, लेकिन पृथ्वी के चारों तरफ से आती सूर्य की रौशनी के कारण ग्रहण का नजारा लेने वालों को चंद्रमा की सतह सुर्ख दिखाई दी.

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पृथ्वी की घनी छाया के भीतर से झांकता चंद्रमा जैसे उसके आगोश से निकलने को बेताब था, लेकिन पृथ्वी भी जैसे मुश्किल से काबू में आए अपने चांद को न छोड़ने की जिद बांधे थी. धरती और चांद डेढ़ घंटे तक गलबैय्या डाले रहे और दुनिया ने इसे ग्रहण का नाम दे दिया.

साइंस पॉपुलराइजेशन ऐसोसिएशन ऑफ कम्युनिकेटर्स एंड एजुकेटर्स से जुड़े सी बी देवगन ने बताया कि चंद्र ग्रहण तभी संभव है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक ही रेखा में आ जाएं.

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