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युवाओं में धूम्रपान की आदत को फिल्मों से मिलता है बढ़ावा

युवाओं पर फिल्मों का गहरा असर होता है और तंबाकू के दुष्प्रभावों से युवाओं को बचाने की तमाम कोशिशों के बावजूद एक सच यह भी है कि युवाओं में धूम्रपान की आदत को फिल्मों से बढ़ावा मिलता है.

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युवाओं पर फिल्मों का गहरा असर होता है और तंबाकू के दुष्प्रभावों से युवाओं को बचाने की तमाम कोशिशों के बावजूद एक सच यह भी है कि युवाओं में धूम्रपान की आदत को फिल्मों से बढ़ावा मिलता है.

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मुंबई के ‘सलाम बॉम्बे फाउंडेशन’ ने विश्व स्वास्थ्य संघ के साथ मिल कर कल नयी दिल्ली स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर में एक कार्यशाला आयोजित की जिसमें फिल्मों और टीवी कार्यक्रमों में तंबाकू उत्पाद के दृश्यों पर पूरी तरह रोक लगाने तथा केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को और अधिक संवेदनशील बनाने पर जोर दिया गया.

फाउंडेशन की निदेशक देविका चड्ढा ने कहा कि फिल्मों और टीवी कार्यक्रमों में तंबाकू सेवन तथा धूम्रपान के दृश्य किशोरवय के दर्शकों की निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं जबकि इस आयु वर्ग में तंबाकू के सेवन की शुरूआत अत्यंत खतरनाक साबित होती है.

स्वास्थ्य मंत्रालय में निदेशक राकेश कुमार ने कहा कि फिल्मों में धूम्रपान और युवाओं पर उसके प्रभाव को रोकने के मुद्दे पर स्वास्थ्य मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के बीच और अधिक संवाद की जरूरत है.

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एक गैर सरकारी संगठन ‘बर्निंग ब्रेन सोसायटी’ द्वारा किए गए एक अध्ययन ‘टोबैको इन मूवीज एंड इम्पैक्ट ऑन यूथ’ में बताया गया है कि वर्ष 2004-05 के दौरान बनी सभी फिल्मों में से 89 फीसदी में धूम्रपान के दृश्य थे. ऐसे दृश्य वाली 75 फीसदी फिल्मों में मुख्य किरदार को धूम्रपान करते दिखाया गया था चाहे वह नायक हो या नायिका.

भारतीय फिल्मों और युवाओं पर उसके प्रभाव के बारे में किए गए इस अध्ययन में कहा गया है कि 41 फीसदी फिल्मों के दृश्य में तंबाकू उत्पाद वाले किसी खास ब्रांड को ज्यादा स्पष्ट तौर पर दिखाया गया और 33.7 फीसदी दर्शकों, खास कर युवाओं को ये दृश्य और ब्रांड याद थे.

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