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दोधारी साबित हो रहा है सोशल मीडिया

पूर्वोत्तर के लोगों के खिलाफ इंटरनेट पर फैलाई जा रही घृणात्मक प्रचार के कारण भारत में सोशल नेटवर्क का मुद्दा बहस के केंद्र में आ गया है. बैंगलोर और हैदराबाद से बड़ी संख्या में पूर्वोत्तर के लोगों के पलायन के कारण इंटरनेट स्वतंत्रता और सामग्री नियंत्रण का मुद्दा भी चर्चा में आ चुका है.

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पूर्वोत्तर के लोगों के खिलाफ इंटरनेट पर फैलाई जा रही घृणात्मक प्रचार के कारण भारत में सोशल नेटवर्क का मुद्दा बहस के केंद्र में आ गया है. बैंगलोर और हैदराबाद से बड़ी संख्या में पूर्वोत्तर के लोगों के पलायन के कारण इंटरनेट स्वतंत्रता और सामग्री नियंत्रण का मुद्दा भी चर्चा में आ चुका है.

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सरकार द्वारा कथित तौर पर पाकिस्तान से घृणात्मक प्रचार फैलाने के सम्बंध में की जा रही जांच के साथ ही देश में 250 से अधिक ऐसे वेबसाइटों को रोक दिया गया है, जिन पर घृणा फैलाने का आरोप है. पिछले दो सालों में देश में सोशल मीडिया का काफी तेज प्रसार हुआ और बड़ी संख्या में युवा इससे जुड़े.

आईक्रॉसिंग की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस समय देश में 3.6 करोड़ लोग फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा बड़ी संख्या में लोग ट्विटर या लिंकेडिन का भी इस्तेमाल करते हैं. सोशल मीडिया के इस प्रसार ने जहां कई ज्वलंत मुद्दों पर देश में जागरूकता फैलाने का काम किया है, वहीं एक दोधारी तलवार की तरह इस दुरुपयोग दुष्प्रचार के लिए भी किया गया है.

न्यूयार्क में भारतीय मूल के साइबर सुरक्षा सलाहकार अंकित फाड़िया ने कहा, 'भारत को आतंकवाद के खिलाफ अगली बड़ी लड़ाई इंटरनेट पर लड़नी पड़ सकती है.' भारतीय जनता पार्टी के नेता निर्मला सीतारमन ने कहा, 'सरकार को निश्चित रूप से उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, जो सोशल मीडिया वेबसाइट पर आपत्तिजनक टिप्पणी डालते हैं.'

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मीडिया कमेंटेटर एन. भास्कर राव ने कहा, 'सोशल नेटवर्क में एक गुमनाम व्यक्ति द्वारा इसका गोपनीय इस्तेमाल की सम्भावना काफी अधिक है. पंजीकरण या स्वामित्व की कोई प्रक्रिया नहीं है. इसलिए दोषी को पकड़ना कठिन है.' ताजा प्रकरण से यह डर सताने लगा है कि सूचना और अभिव्यक्ति की आजादी खतरे में पड़ जाएगी.

इस वर्ष केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल द्वारा इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग साइटों पर सामग्री की निगरानी की बात कहने के बाद से अभिव्यक्ति की आजादी पर संकट मंडरा रहा है. अरब स्प्रिंग के बाद पिछले दो सालों में सोशल नेटवर्किंग साइटों का उपयोग कई बड़े मुद्दों पर जागरुकता फैलाने में किया गया है.

पिछले करीब एक दशक में इसने व्यापार और वाणिज्य को भी ई-कॉमर्स के लिए प्रोत्साहित किया. दिल्ली विश्वविद्यालय के एक छात्र मोहम्मद अब्दुल ने कहा, 'नेटवर्किंग साइट एक वरदान है. वह अभिव्यक्ति को एक और आजादी की तरह है.'

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