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सोमदेव देववर्मन ने एशियाड में भारत को 7वां गोल्ड दिलाया

सोमदेव देववर्मन मंगलवार को एशियाई खेलों की पुरुष एकल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी हो गए जिन्होंने शीर्ष वरीयता प्राप्त और दुनिया के 40वें नंबर के खिलाड़ी डेनिस इस्तोमिन को हराया. भारत ने टेनिस में पांच पदक अपनी झोली में डाले हैं.

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सोमदेव देववर्मन मंगलवार को एशियाई खेलों की पुरुष एकल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी हो गए जिन्होंने शीर्ष वरीयता प्राप्त और दुनिया के 40वें नंबर के खिलाड़ी डेनिस इस्तोमिन को हराया. भारत ने टेनिस में पांच पदक अपनी झोली में डाले हैं.

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दूसरी वरीयता प्राप्त सोमदेव का यह टेनिस में दूसरा स्वर्ण पदक है जिन्होंने 6-1, 6-2 से जीत दर्ज की. भारत की झोली में इन खेलों का सातवां पीला तमगा है. सोमदेव ने सनम सिंह के साथ पुरुष युगल में भी स्वर्ण जीता था. पिछले महीने सोमदेव ने राष्ट्रमंडल खेलों में भी पुरुष एकल स्वर्ण जीता था. एटीपी टूर पर वह लगातार प्रभावी प्रदर्शन कर रहे हैं.

फोरहैंड पर इस्तोमिन की गलती के बाद मैच जीतने वाले सोमदेव भीगी पलकों के साथ कोर्ट पर बैठ गए. उन्होंने बाद में कहा, ‘मैं इस पदक से बहुत खुश हूं. यह सपना सच होने जैसा है. एशियाई खेलों में कोई दो स्वर्ण जीतने की नहीं सोच सकता. देश की नुमाइंदगी करने से बढ़कर खुशी मेरे लिये कुछ नहीं.’ {mospagebreak}

कोई भी भारतीय खिलाड़ी एशियाई खेलों के पुरुष एकल टेनिस में आज तक स्वर्ण नहीं जीत सका है. अभी तक तीन कांस्य पदक भारत की झोली में आये हैं जो लिएंडर पेस (1994 हिरोशिमा), महेश भूपति (1998 बैंकाक) और प्रहलाद श्रीनाथ (1998 बैंकाक) ने जीते. दुनिया के 166वें नंबर के खिलाड़ी सोमदेव अभी तक इन खेलों में तीन पदक जीते हैं. वह टीम वर्ग में भी कांस्य जीत चुके हैं.

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भारत ने टेनिस में पांच पदक जीते हैं जबकि दोहा एशियाई खेलों में तीन पदक भारत को मिले थे. दोहा में पुरुष युगल में पेस और भूपति ने जबकि मिश्रित युगल में सानिया मिर्जा और पेस ने स्वर्ण पदक जीता था. सानिया ने महिला एकल में कांस्य पदक जीता जबकि मिश्रित युगल में विष्णुवर्धन के साथ रजत पदक हासिल किया. सोमदेव और इस्तोमिन के बीच फाइनल मैच रोमांचक नहीं रहा.

उजबेक खिलाड़ी ने कई गलतियां की जिसका सोमदेव ने फायदा उठाया. सोमदेव ने पहले सेट में उसकी सर्विस दो बार तोड़ते हुए 5-0 की बढ़त बना ली. दूसरे सेट में भी उसने दबाव बनाये रखते हुए जीत दर्ज की. दबाव का बखूबी सामना करने वाले सोमदेव ने दूसरे सेट के छठे और आठवें गेम में अपने प्रतिद्वंद्वी की दो बार सर्विस तोड़ दी. {mospagebreak}

सोमदेव के गोल्डन डबल से पहले एशियाई खेलों में 24 बरस पहले कोरिया के यून जिन सुन ने 1986 में यह कारनामा किया था. ब्राजील के खिलाफ चेन्नई में डेविस कप विश्व ग्रुप मुकाबले में भारत को 3-2 से रोमांचक जीत दिलाने वाले सोमदेव ने राष्ट्रमंडल खेलों के एकल वर्ग में भी स्वर्णिम अभियान जारी रखा था.

सोमदेव ने कहा, ‘2010 का दूसरा हाफ मेरे लिये बहुत अच्छा रहा. मैं शीर्ष 100 में पहुंचा और यहां दो स्वर्ण पदक जीते. मैं ब्राजील पर मिली जीत और इस स्वर्ण पदक में फर्क नहीं कर सकता. मेरे लिये दोनों एक जैसी हैं क्योंकि इतनी कम उम्र में देश का प्रतिनिधित्व करके मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं.’ सोमदेव ने पूरी टीम, कोचिंग स्टाफ और अखिल भारतीय टेनिस संघ को धन्यवाद दिया.

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भारतीय कोच नंदन बल ने इस प्रदर्शन को भारतीय टेनिस के लिये निर्णायक बताते हुए कहा, ‘हमारे पास सोमदेव, करण और सनम जैसे बेहतरीन एकल खिलाड़ी हैं. टेनिस संघ ने ऐसी व्यवस्था बना दी है जिससे शीर्ष खिलाड़ी सामने आ रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘पहले पारिवारिक परंपरा से खिलाड़ी निकलते थे जिनमें कृष्णन, अमृतराज, नाटेकर और पेस शामिल थे.’ {mospagebreak}

फाइनल मैच बिल्कुल रोमांचक नहीं रहा. उजबेक खिलाड़ी ने आठ डबलफाल्ट किये जिनमें कुछ निर्णायक समय पर की गई. उसने मैच में 46 सहज गलतियां भी की. सोमदेव ने पांच ऐस और उतने ही सर्विस विनर लगाये. बेसलाइन से बेहतरीन खेल दिखाते हुए उसने अपने प्रतिद्वंद्वी की पहली ही सर्विस तोड़ दी. इस्तोमिन ने तीसरे गेम में चार ब्रेक प्वाइंट बचाये लेकिन दूसरी बार उनकी सर्विस टूटी.

दूसरी बार उसके डबल फाल्ट से सोमदेव ने 3-0 की बढ़त बना ली. उसने फिर सर्विस तोड़ कर 5-0 की बढ़त बनाई. छठे गेम में उसकी सर्विस टूटी लेकिन इसके बाद इस्तोमिन ने फोरहैंड पर लगातार चार बार गलती की. इस्तोमिन की सर्विस सातवें गेम में भी टूटी जिस पर सोमदेव ने सेट जीत लिया.

दूसरे सेट में सोमदेव ने डबलफाल्ट से शुरूआत की. लेकिन अपनी सर्विस बरकरार रखते हुए 2-1 से बढ़त बना ली. इस्तोमिन ने अगले गेम में फिर डबल फाल्ट किया और 0-40 से पिछड़ गए. सोमदेव ने जल्दी ही 4-2 की बढ़त बना ली. अपनी सर्विस बरकरार रखते हुए सोमदेव ने सेट और मैच जीत लिया.

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