रक्षामंत्री ए के एंटनी ने सोमवार को कहा कि भारतीय वायु सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिये स्वदेश निर्मित हल्के लड़ाकू विमान तेजस में कुछ और सुधार की जरूरत है.
अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में एयरो इंडिया 2011 के आठवें संस्करण का उद्घाटन करते हुए रक्षामंत्री ने कहा, ‘वायुसेना कुछ और सुधार चाहती है और मुझे पूरा विश्वास है कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) इन चिंताओं को भी दूर कर देगा.’
उन्होंने माना कि तेजस परियोजना में काफी देरी के लिये इसकी आलोचना की जाती रही है और कहा कि विश्व के ज्यादातर हिस्सों में तकनीकी विकास उत्पाद के विकास को आगे बढ़ाता है. रक्षामंत्री ने कहा, ‘हालांकि तेजस के मामले में हमने दोनों ही चीजों को एक साथ अजमाया है. इसके कारण बहुत ज्यादा दूर नहीं हैं. {mospagebreak}
कुछ आवश्यक तकनीकों के नहीं दिये जाने पर हमने कड़ी मेहनत करके इसका हल हासिल किया.’ एंटनी ने कहा कि तमाम कठिनाइयों के बावजूद डीआरडीओ के इंजीनियरों और एचएएल ने अंतत: तेजस को भारतीय वायुसेना को सौंप दिया.
उन्होंने कहा कि अगर विश्व के इस श्रेणी के अन्य लड़ाकू विमानों से तुलना करें तो तकनीक और समय की बाध्यता के बावजूद उसने उचित समय में इसे पूरा कर दिया. रक्षामंत्री ने कहा कि तेजस को हाल ही में मिली संचालन की मंजूरी एक ‘गर्व से भरा क्षण’ था.
तेजस को कई प्रणालियों को मिलाकर बनाया गया है और इसके अलग थलग रहकर या दूसरों की मदद के बिना विकसित नहीं किया जा सकता. इससे पहले 10 जनवरी को तेजस को आरंभिक संचालन मंजूरी मिलने के साथ भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया जो युद्धक विमान बनाते हैं.