संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आदिवासियों को देश की बुनियाद बताते हुए कहा कि इनकी जरूरत, इनकी संस्कृति और परम्पराओं का पूरा ख्याल रखते हुए इनकी सुरक्षा के लिए कदम उठाये गये हैं.
सोनिया गांधी ने डूंगरपुर रेलवे स्टेशन के निकट आयोजित एक भव्य समारोह में दो हजार 83 करोड़ रुपये लागत की डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल परियोजना की आधारशिला रखने के बाद कहा कि डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल परियोजना से यहां के लोगों की काफी पुरानी मांग पूरी हो गयी.
सोनिया ने इस समारोह के कुछ घंटे बाद बांसवाड़ा में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की शुरूआत की. इस अवसर पर वहां एकत्र जनसमूह को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह परियोजना पूरी होने के बाद इस क्षेत्र के लोगों को इसका लाभ मिलेगा.
उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूहों को अधिक मजबूत बनाने के लिए शीघ्र ही आर्थिक संस्था गठित की जायेगी. इस आर्थिक संस्था के लिए वित्त मंत्रालय ने पहले से ही पांच सौ करोड़ रुपये तय कर दिये है. उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूह को मजबूत करने से और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से गरीब और जरूरतमंद महिलाओं को फायदा होगा.
सोनिया ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को याद करते हुए कहा कि उनके द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए शुरू की गई योजनाओं की वजह से देश में करीब पचास लाख स्वयं सहायता समूह हैं और पंचायत राज संस्थानों में निर्वाचित प्रतिनिधियों में से आधी महिलाएं है.
उन्होंने कहा कि देश तेजी से तरक्की कर रहा है ऐसे में आदिवासी समाज के विकास के साथ-साथ इनकी परम्पराओं और संस्कृति की रक्षा करने के लिए सभी कदम उठाने चाहिए. कांग्रेस अध्यक्ष ने पूर्व मुख्यमंत्री हरि देव जोशी और पूर्व मंत्री भीखा भाई को याद करते हुए कहा कि आदिवासी देश के लिए बुनियाद है और हमने उनके हक दिलवाये हैं.
उन्होंने कहा कि कार्यक्रमों और परियोजनाओं की शुरूआत करना तो आसान है, लेकिन असली चुनौती उनको ठीक प्रकार से लागू कर प्रभावित लोगों को उसका फायदा पहुंचाने की है. उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं की स्थिति में सुधार, सामाजिक अंकेक्षण समेत अन्य कार्यो की वजह से स्वयं सहायता समूह मजबूत संगठन के रूप में अधिक मजबूती से उभरेंगे.
संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सामाजिक अकेंक्षण की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा कि सामाजिक अंकेक्षण से समाज की भागीदारी बढने के साथ ही अधिकारियों की जवाबदेही भी तय होती है. उन्होंने सूचना के अधिकार को ऐतिहासिक अधिकार बताते हुए कहा कि इससे प्रशासन और अधिक जवाबदेह होने लगे हैं. सोनिया गांधी ने डूंगरपुर में शिलान्यास स्थल पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच परियोजना की आधारशिला के रूप में एक ईंट रखी.
उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इस परियोजना के बारे में जानकारी हासिल की. इस मौके पर गहलोत के अलावा राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और केन्द्रीय भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री डॉ सी पी जोशी, केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री विलासराव देशमुख, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री कुमारी शैलजा, केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री एवं राजस्थान के पार्टी प्रभारी मुकुल वासनिक, केन्द्रीय रेल राज्य मंत्री के एच मुनियप्पा, मुकुल राय, भरत सिंह सोलंकी एंव रेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.
सोनिया गांधी ने बांसवाड़ा पहुंचने पर स्वयं सहायता समूह और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन योजना को लेकर लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया और इसमें शामिल महिलाओं से जानकारी प्राप्त की. सोनिया गांधी ने बाद में योजनाओं पर आधारित पांच मिनट से अधिक समय की एक लघु फिल्म देखी और योजना से जुड़ी महिलाओं से जानकारी हासिल की. सोनिया गांधी के सीमा सुरक्षा बल के विशेष विमान से उदयपुर हवाई अड्डे पर पहुंचने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और डॉ सी पी जोशी ने सूत की माला पहनाकर उनका स्वागत किया.
सोनिया गांधी उदयपुर से हेलीकाप्टर से डूंगरपुर और बांसवाड़ा गई. बाद में वह दिल्ली वापस लौट गईं. उत्तर पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक आर सी अग्रवाल के अनुसार डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल परियोजना पर करीब दो हजार 83 करोड़ रुपये खर्च होगा. इसमें से राजस्थान सरकार ने बारह सौ करोड़ रुपये का अंशदान किया है. करीब 176.47 किलोमीटर लम्बे रेल मार्ग पर मध्य प्रदेश का रतलाम और राजस्थान का बांसवाड़ा व डूंगरपुर जिले पड़ते हैं. इस परियोजना में प्रति किलोमीटर 11.80 करोड रुपये खर्च होने का अनुमान है.
परियोजना को पांच साल में पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है. सूत्रों के अनुसार इस मार्ग पर 2.65 किलोमीटर सबसे लम्बी सुरंग होगी और इस ट्रैक पर गति क्षमता सौ किलोमीटर प्रति घंटा होगी.
उत्तर पश्चिम रेलवे द्वारा डाली जाने वाली नई ब्राडगेज रेल लाइन के निकट 9 विद्युत संयंत्र एवं प्रमुख उद्योग होंगे. इनमें से पांच बिजली संयंत्र होंगे.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अनुसार बांसवाड़ा अभी तक रेलमार्ग से नहीं जुड़ा था और अब यह रेल लाइन से जुडेगा. इससे आसपास के बड़े जनजातीय क्षेत्र के सामाजिक एवं आर्थिक विकास को गति मिलेगी. उन्होंने बताया कि इस रेल लाइन से कृषि उत्पादों का आसानी से परिवहन हो सकेगा, जिससे कृषि को मजबूती मिलेगी. इससे उपलब्ध खनिज संसाधनों के दोहन में मदद मिलेगी और इस क्षेत्र का सामाजिक एवं आर्थिक विकास होगा.
गहलोत के अनुसार बांसवाड़ा क्षेत्र में लगने वाली विद्युत परियोजना तथा अन्य उद्योगों के लिये कच्चा माल व तैयार माल के परिवहन के लिये सस्ता एवं पर्यावरण के अनुकूल मार्ग उपलब्ध होगा. बांसवाड़ा तथा डूंगरपुर जिले के जनजाति के लोग देश के अन्य भागों से सीधे जुड़ जायेंगे.