दिल्ली मेट्रो एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस कॉरिडोर से खुश नहीं है और वह चाहते हैं कि उसके संचालक रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर चार महीने के भीतर ट्रेन की स्पीड, उनकी आवृति और अन्य चीजों को सुधारे नहीं तो उससे संचालन का अधिकार वापस ले लिया जाएगा.
मेट्रो के प्रबंध निदेशक ई. श्रीधरन ने कहा कि खराब अनुभव ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को इस महत्वकांक्षी योजना में निजी कंपनी को हिस्सेदार नहीं बनाने का निर्णय करने पर बाध्य कर दिया है.
उन्होंने बताया, ‘एयरपोर्ट मॉडल के साथ हमारा पीपीपी (निजी सार्वजनिक भागीदारी) में हमारा अनुभव बहुत अच्छा नहीं रहा है. सबसे पहले काम समय पर पूरा नहीं हुआ. इस लाइन को राष्ट्रमंडल खेलों के समय पूरा होना था लेकिन यह पांच महीने देर हो गया. शुरू होने के बावजूद वह ट्रेन की गति को बढ़ाकर 120 किलोमीटर प्रतिघंटा नहीं किया जा सका है.’
उन्होंने कहा, ‘हम उनके संचालन से बहुत खुश नहीं हैं. यह सेवा भव्य तरीके की होनी चाहिए थी जो नहीं हुई.’ उन्होंने बताया कि रिलायंस इंफ्रा को इन्हें सुधारने के लिए कई नोटिस भेजे गए हैं लेकिन उन्होंने अभी तक कोई सुधार नहीं किया है. उन्हें कुछ दिन पहले ही और एक नोटिस भेजा गया है.
मेट्रो मैन ने कहा कि हम कंपनी पर बहुत ज्यादा दबाव नहीं बना रहे हैं क्योंकि वह बहुत घाटा उठा रही है. इस लाइन पर एक दिन में 30 से 40 हजार यात्रियों को सफर करना चाहिए जबकि फिलहाल केवल 20 हजार यात्री सफर कर रहे हैं.