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‘जादूगर’ सिंघवी ने देश को धोखा दिया: शांति भूषण

अन्ना हजारे पक्ष के प्रमुख सदस्य एवं वरिष्ठ वकील शांति भूषण ने लोकपाल पर संसद की स्थायी समिति के प्रमुख अभिषेक मनु सिंघवी की तुलना मशहूर जादूगर पी सी सरकार से करते हुए कहा है कि सिंघवी ने प्रस्तावित लोकपाल कानून को लेकर देश के साथ धोखा किया है.

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शांति भूषण
शांति भूषण

अन्ना हजारे पक्ष के प्रमुख सदस्य एवं वरिष्ठ वकील शांति भूषण ने लोकपाल पर संसद की स्थायी समिति के प्रमुख अभिषेक मनु सिंघवी की तुलना मशहूर जादूगर पी सी सरकार से करते हुए कहा है कि सिंघवी ने प्रस्तावित लोकपाल कानून को लेकर देश के साथ धोखा किया है.

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जंतर-मंतर पर हजारे के एक दिन के अनशन के दौरान भूषण ने कहा, ‘लोकपाल विधेयक पर सिफारिश रिपोर्ट देने वाली संसदीय समिति के प्रमुख सिंघवी एकाएक जादूगर हो गए. एक जादूगर पी सी सरकार हुए थे और दूसरे ये हैं. इन्होंने एकाएक हमारी सभी मांगों को लोकपाल से बाहर कर दिया.’

उन्होंने कहा, ‘संसद ने एक प्रस्ताव पारित करके जिन बातों को शामिल करने पर सहमति जताई थी, सिंघवी ने उन्हें ही नहीं माना. 17 सदस्यों के विरोध और असहमति पत्र लगाने के बावजूद सिंघवी ने अपने मुताबिक लोकपाल बनाने का प्रयास किया. सिंघवी ने देश को धोखा दिया है और उन्हें क्या सजा मिलनी चाहिए?’

न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को लेकर भूषण ने कहा, ‘न्यायपालिका में भ्रष्टाचार है और सरकार इसे भी दूर नहीं करना चाहती है. मेरा मानना है कि जिस दिन दो-तीन भ्रष्ट न्यायाधीश जेल चले गए, उसके बाद से न्यायपालिका का भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा.’ उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि लोकपाल कानून बने और हर हाल में उसमें जनलोकपाल (अन्ना का लोकपाल) की आत्मा हो. इससे भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सकता है.’

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भूषण के बेटे और हजारे के पक्ष के सदस्य प्रशांत भूषण ने सरकार पर आरोप लगाया कि उसने एफडीआई जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर फैसला करने से पहले किसी से विचार-विमर्श नहीं किया. प्रशांत ने सवाल किया, ‘सरकार जैतापुर और अन्य स्थानों पर परमाणु संयंत्र स्थापित करना चाहती है ताकि बिजली पैदा की जा सके. यह सब लाखों करोड़ों रुपये खर्च करके किया जाना है. यह क्या हो रहा है? क्या हम ताप बिजली संयंत्रों से ज्यादा बिजली पैदा नहीं कर सकते?’

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की सिर्फ एक चिंता आर्थिक विकास है. प्रशांत ने कहा कि कोई भी कानून बनाने से पहले सरकार को जनता की राय लेनी चाहिए और लोकपाल पर सरकार जनमत का सम्मान नहीं कर रही है.

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