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चीन ने दिया नत्थी वीजा समाप्त करने का संकेत

चीन ने जम्मू-कश्मीर में रहने वाले लोगों को नत्थी वीजा देने की अपनी दो साल पुरानी प्रवृत्ति को समाप्त करने का संकेत देते हुए कहा कि वह लोगों की यात्रा से संबंधित मुद्दों के हल के लिए भारत के साथ काम करने का इच्छुक है.

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चीन ने जम्मू-कश्मीर में रहने वाले लोगों को नत्थी वीजा देने की अपनी दो साल पुरानी प्रवृत्ति को समाप्त करने का संकेत देते हुए कहा कि वह लोगों की यात्रा से संबंधित मुद्दों के हल के लिए भारत के साथ काम करने का इच्छुक है.

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भारत में चीन के राजदूत झांग यान ने संवाददाताओं से कहा, ‘आप गहराई से देख सकते हैं और स्वयं ही निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं.’ उनसे पूछा गया था कि क्या चीन ने जम्मू-कश्मीर के रहने वाले लोगों को नत्थी वीजा देने की अपनी प्रवृत्ति में ढील दी है.

झांग ने कहा कि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बीजिंग में इस मुद्दे पर पहले ही टिप्पणी कर चुके हैं और वह उसमें कुछ और जोड़ना नहीं चाहेंगे. उन्होंने कहा, ‘हम लोगों के एक दूसरे के यहां आने जाने से संबंधित सभी मुद्दों के हल के लिए भारत के साथ काम करने के इच्छुक हैं. यह हमारा आम नजरिया है जो हमारे इरादों का संकेत देता है.’ उच्चस्तरीय रक्षा विनिमय बहाल करने के बारे में झांग ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच यह आदान प्रदान फिर से शुरू होगा.

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भारत में चीन के राजदूत ने कहा, ‘मुझे यह जान कर बेहद खुशी है कि दोनों पक्षों के संयुक्त प्रयासों से हम रक्षा क्षेत्र में अपना सहयोग जारी रखेंगे.’ बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारी होंग ली ने कहा था कि चीन, लोगों के एक दूसरे के यहां आने जाने से जुड़े विवाद का उचित समाधान करने के लिए भारत के साथ काम करने को तैयार है.

होंग ने कहा था, ‘चीन अपने द्विपक्षीय संबंधों में मैत्रीपूर्ण संवाद एवं लोगों के एक दूसरे के यहां आने जाने से जुड़े विवाद का उचित समाधान करने के लिए भारत के साथ काम करने को तैयार है.’ उन्होंने कहा था, ‘हमें द्विपक्षीय संबंधों के भविष्य को लेकर पूरा विश्वास है.’ यह बयान बीजिंग द्वारा जम्मू-कश्मीर में जन्मे चार पत्रकारों को सामान्य वीजा दिए जाने की पृष्ठभूमि में आया है.

चारों पत्रकार चीन के हेनान प्रांत के सान्या में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका यानी ब्रिक्स (बीआरआईसीएस) के सम्मेलन को कवर करने के लिए गए हैं. चीन ने पिछले साल भारतीय सेना के एक जनरल बी एस जसवाल को इस आधार पर वीजा देने से इनकार कर दिया था कि वह जम्मू-कश्मीर में सैनिकों की अगुवाई करते है. उसके बाद भारत ने चीन के साथ रक्षा विनिमय बंद कर दिया था.

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चीन ने इस आधार पर वर्ष 2008 से जम्मू-कश्मीर के निवासियों को नत्थी किया हुआ वीजा देना शुरू किया था कि यह विवादित क्षेत्र है. चीन के इस कदम पर भारत ने विरोध जताते हुए कहा था कि यह देश की संप्रभुता पर सवाल है. इसके बाद द्विपक्षीय संबंधों में तनाव उत्पन्न हो गया था. पिछले साल जुलाई में जसवाल मामले को लेकर खासा विवाद उठ खड़ा हुआ था.

भारतीय अधिकारियों ने सतर्कतापूवर्क उम्मीद जताई है कि चीन भारत की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए इस प्रवृत्ति को रोकने का फैसला कर सकता है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों को बिना कोई घोषणा किए इस बारे में खामोशी से काम करना होगा.

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