केंद्र सरकार ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने नकदी संकट से जूझ रही विमानन कम्पनी किंगफिशर को 6,901.86 करोड़ रुपये कर्ज दिया है.
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री नमो नारायण मीणा ने कहा कि सरकारी बैंकों ने निधि आधारित और गैर निधि आधारित सीमा के तहत विमानन कम्पनी को 5,792.66 करोड़ रुपये कर्ज दिया है.
मीणा ने राज्य सभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि इसके अलावा इन बैंकों ने क्युमुलेटिव रिडीमेबल प्रीफरेंस शेयर(सीआरपीएस) और नॉन-कनवर्टिबल क्युमुलेटिव रिडीमेबल प्रीफरेंस शेयर (एनसीसीआरपीएस) में निवेश के जरिए भी कम्पनी में 1,109.20 करोड़ रुपये लगाए हैं.
भारतीय स्टेट बैंक का पक्ष लेते हुए उन्होंने कहा कि बैंक ने विमानन कम्पनी के साथ मास्टर डेट रिकास्ट एरेंजमेंट (एमडीआरए) के तहत धरोहर के रूप में कम्पनी का शेयर खरीदा है. भारतीय स्टेट बैंक पर आरोप है कि उसने ऊंचे मूल्य पर शेयर लिए हैं.
मीणा ने कहा, "एमडीआरए के संदर्भ में कर्ज का एक हिस्सा अलग कर लिया गया और सीआरपीएस के रूप में जारी किया गया, जिसे बाद में 31 मार्च 2011 को 64.48 रुपये प्रति शेयर के आधार पर कम्पनी में हिस्सेदारी के रूप में बदल लिया गया। तब हर शेयर का मूल्य 39.90रुपये था."
मंत्री ने कहा कि बैंक ने कम्पनी के 11,63,30,639 शेयर लिए. उन्होंने कहा कि बैंक ने सात दिसम्बर को विमानन कम्पनी के शेयरों में 750.10 करोड़ रुपये का निवेश किया, जिसका बाजार मूल्य अभी 298.39 करोड़ रुपये है.