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कसाब के बयान को स्वीकार नहीं किया जा सकता: लाहौर हाई कोर्ट

मुम्बई हमले के सिलसिले में लाहौर हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अजमल आमिर कसाब के इकबालिया बयान को आरोपियों के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.

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मुम्बई हमले के सिलसिले में लाहौर हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अजमल आमिर कसाब के इकबालिया बयान को आरोपियों के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.

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हाईकोर्ट के इस आदेश से मुम्बई हमले के सात आरोपियों की सुनवाई प्रभावित हो सकती है. हाईकोर्ट की रावलपिंडी पीठ ने लश्कर ए तैयबा कमांडर जकीउर रहमान लखवी और अन्य आरोपियों की याचिका पर यह आदेश दिया. इन सभी के खिलाफ मुम्बई हमले के सिलसिले में आतंकवाद निरोधक अदालत में सुनवाई चल रही है.

हालांकि हाईकोर्ट ने लखवी और अन्य की बरी करने की मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि आतंकवाद निरोधक अदालत में चल रही सुनवाई के दौरान उन्हें बरी नहीं किया जा सकता. मुंबई हमले के आरोपियों ने इस साल के प्रारंभ में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिसके बाद अदालत ने 26 जनवरी को उनकी याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

लश्कर ए तैयबा पर 26 नवंबर, 2008 को मुम्बई में हमले करने का आरोप है जिसमें 166 लोगों की जान चली गयी थी. इस हमले के दौरान बच गए एकमात्र आतंकवादी कसाब पर मुम्बई की विशेष अदालत में सुनवाई चल रही है. कसाब ने एक अन्य आतंकवादी के साथ निर्दोषों पर गोलियां चलाई थीं. इस वारदात को अंजाम देने वाले अन्य आतंकवादी मारे गए थे.

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सातों आरोपियों के वकील शाहबाज राजपूत ने बताया कि हाईकोर्ट ने कहा कि कसाब के बयान को साक्ष्य कानून के तहत पाकिस्तान की अदालत में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. राजपूत ने बताया कि हाईकोर्ट का कहना था कि आतंकवाद निरोधक अदालत ने सात आरोपियों की सुनवाई कसाब की सुनवाई से अलग करके अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया है. आतंकवाद निरोधक अदालत को कसाब को भगोड़ा घोषित करना चाहिए और उसके खिलाफ चालान एवं आरोपपत्र दाखिल करना चाहिए.

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