बढ़ती कीमतों को लेकर सरकार की आलोचनाओं के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राज्यों से सोमवार को दो टूक शब्दों में कहा कि उन्हें गरीब और आम जनता को वाजिब कीमत पर जरूरी सामान उपलब्ध कराने के लिये अपने सभी साधनों का इस्तेमाल करना चाहिए.
राज्यों के मुख्य सचिवों की पहली सालाना बैठक को संबोधित करते हुए सिंह ने हालांकि यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांग और आपूर्ति की खींचतान से अपने आप को पूरी तरह अछूता रखना संभव नहीं है. दो दिवसीय सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री ने नौकरशाहों से अपनी कानून व्यवस्था की मशीनरी को दुरूस्त बनाने और आतंकवाद, अतिवाद तथा सीमा पार के घटनाक्रमों से ‘कड़ाई किन्तु संवेदनशीलता’ के साथ निपटने को भी कहा. उन्होंने कहा, ‘‘गरीबों और आम आदमी को वाजिब कीमत पर जरूरी चीजें उपलब्ध कराने हेतु सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत और सक्षम बनाने के लिये कुछ भी किया जाए, वह कम है.’’
सिंह ने कहा, ‘‘आपके पास कई अधिकार हैं और यह उम्मीद की जाती है कि आप उसका जरूरत के हिसाब से पूरा इस्तेमाल करे. केंद्र सरकार की तरफ से मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि राज्यों को इन मामलों के अलावा सभी क्षेत्रों में हर संभव मदद दी जाएगी.’’ प्रधानमंत्री ने राज्य सरकारों से खाद्य उत्पादन बढ़ाने की रणनीति तैयार करने और जरूरी सामानों की आपूर्ति की कमी को दूर करने के लिये जरूरी उपाय करने को कहा.
सिंह ने कहा कि प्रमुख फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी की अपार संभावनाएं हैं और उन्होंने उम्मीद जतायी कि उच्च उत्पादन प्राप्त करने के लिये ठोस प्रयास किये जाएंगे. कीमत स्थिति के बारे में उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में खाद्य सुरक्षा और कीमतों को नियंत्रित करने का मामला प्रमुख मुद्दा बन गया है. सिंह ने कहा, ‘‘मैं तो कहना चाहूंगा कि पिछले कुछ समय से, यह गलत धारणा रही है कि खाद्य वस्तुओं की उपलब्धता पर्याप्त है और चिंता जैसी कोई बात नहीं है.
इसी प्रकार, कई लोगों का मानना था कि हम कीमतों को नियंत्रित करने में सक्षम हैं’’ उन्होंने कहा कि बढ़ती जनसंख्या और लोगों का उच्च जीवन स्तर से खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति को बढ़ाने की जरूरत बढ़ गयी है. प्रशासन के समक्ष नई चुनौतियों के बारे में उन्होंने कहा कि आज लोग किसी भी रूप में या सरकार के किसी भी स्तर पर कामचोरी, उपेक्षा और भ्रष्टाचार का पहले से अधिक विरोध करते हैं. लोगों की सरकार से अपेक्षाएं बढ़ रही हैं. इससे जनता सरकार के काम करने की गति को लेकर अधीर हो रही है.
मनमोहन सिंह ने कहा, ‘‘प्रशासन आज बेहद जटिल हो गया है. विधायिका, न्यायपालिका और मीडिया जैसे सभी तबकों से जवाबदेही के निर्धारण के लिये शोर है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह किसी भी सरकार की मुख्य जिम्मेदारी है कि वह कानून व्यवस्था ठीक रखे. इसके अलावा तेज़ आर्थिक विकास के लिए शांति और साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखना भी आवश्यक है.’’ आर्थिक विकास की गति बनाए रखने के लिए उन्होंने आतंकवाद, विद्रोह और अतिवाद को ‘‘कड़ाई किन्तु संवेदनशीलता’’ के साथ निपटने की जरूरत बताई.