ऊंची खाद्य मुद्रास्फीति के प्रति चिंता व्यक्त करते हुये कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि सरकार इसपर नियंत्रण के लिए हरसंभव कदम उठा रही है लेकिन इनकी सफलता खाद्यान्नों और अन्य संबंधित जिंसों के उत्पादन पर निर्भर करती है.
पवार ने खरीफ सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'भारत सरकार और प्रदेश की सरकारें मुद्रास्फीति को लेकर चिंतित हैं, विशेषकर हाल के दिनों में खाद्य सामग्रियों की कीमतें बढ़ने को लेकर यह चिंता ज्यादा बढ़ी है.' दलहन के दाम नरम पड़ने के बीच 19 मार्च को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति 9.5 प्रतिशत दर्ज की गई जबकि फलों और प्रोटीन आधारित सामग्रियों की कीमतें ऊंची बनी रहीं.
थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति दो सप्ताह एक अंकीय रहने के बाद 12 मार्च को समाप्त सप्ताह में 10.05 प्रतिशत हो गई. पवार ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ने की एक वजह तो वर्ष 2009-10 के दौरान कई राज्यों में मानसून का विफल होना रहा और कुछ वजह लोगों की आय स्तर में वृद्धि भी रही है.
उन्होंने कहा कि आयस्तर बढ़ने से लोगों में उच्च गुणवत्ता के फलों और सब्जियों की मांग बढ़ना भी रही है. इसके अलावा कुछ निश्चित अवधि में प्याज और ऐसे ही कुछ अन्य उत्पादों की फसल को नुकसान होना भी प्रमुख वजह रही है. उन्होंने कहा, 'सरकार मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के लिए हरसंभव उपाय कर रही है लेकिन इन उपायों की सफलता काफी हद तक खाद्यान्नों तथा अन्य कृषि जिंसों के उत्पादन पर निर्भर करती है.'