सुकना भूमि घोटाले के मामले में लेफ्टिनेंट जनरल प्रशांत कुमार रथ को आज एक सैन्य अदालत ने ‘धोखाधड़ी के इरादे’ के आरोप से बरी कर दिया. सैन्य अदालत रथ को पहले बरी किये जाने के फैसले को चुनौती देने वाली पुनरीक्षा याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
सैन्य अदालत के पीठासीन अधिकारी आई.जे. सिंह ने यहां रथ के ‘दोषी नहीं’ होने संबंधी फैसला सुनाया.
अभियोजन पक्ष के वकील राघवेंद्र झा ने बताया कि मौजूद साक्ष्यों पर विचार करने के बाद अदालत अपने मूल निष्कर्ष पर कायम है और पाती है कि आरोपी धोखाधड़ी के इरादे का दोषी नहीं है.पीठासीन अधिकारी ने कहा कि विचार विमर्श के लिए कोई नया विषय नहीं है और पूर्ववर्ती निष्कर्षों में हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है.
इससे पहले ईस्टर्न आर्मी कमांडर ने रथ के खिलाफ ‘धोखाधड़ी के इरादे’ के पहले आरोप पर पुनर्विचार के लिए जनरल कोर्ट मार्शल का निर्देश दिया था.
पूर्वी कमान के जीओसी.इन.सी लेफ्टिनेंट जनरल विक्रम सिंह ने इससे पहले दलील दी थी कि अदालत ने मौजूद साक्ष्यों पर विचार करते हुए कुछ पहलुओं को जरूरी महत्व नहीं दिया और विचार नहीं किया.
उन्होंने कहा था कि पहले आरोप के संदर्भ में ‘दोषी नहीं’ होने का फैसला प्रतिकूल दिखाई देता है. सैन्य स्टाफ के पूर्व उप प्रमुख..मनोनीत रथ 2008 में घोटाले के वक्त 33 कोर के कमांडर थे.
जीसीएम ने 22 जनवरी को रथ को उनके पद की वरिष्ठता में दो साल की कमी और 15 साल की पेंशन की कटौती की सजा सुनाई थी. उस वक्त उन्हें 33 कोर कमांडर के नाते एक निजी रियल इस्टेट कंपनी को पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी के पास सुकना सैन्य अड्डे से लगे भूखंड पर शैक्षणिक संस्थानों के निर्माण के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र दिये जाने से जुड़े तीन मामलों में दोषी ठहराया गया था.
रथ ने पुनरीक्षा याचिका पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया था कि अधिकारी अदालत को अपने हिसाब से फैसला लेने के लिए बाध्य कर रहे हैं. आज फैसले के वक्त रथ रो पड़े.