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सुकना जमीन घोटाला: लेफ्टिनेंट जनरल की वरिष्ठता 2 साल कम

सेना के एक कोर्ट मार्शल ने सुकना भूमि घोटाले में लेफ्टिनेंट जनरल पी के रथ को दोषी पाने के एक दिन बाद उनकी दो वर्ष की वरीयता कम करने और पेंशन के लिए 15 वर्ष सेवा में कमी करने के साथ उन्हें कड़ी फटकार लगायी.

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सेना के एक कोर्ट मार्शल ने सुकना भूमि घोटाले में लेफ्टिनेंट जनरल पी के रथ को दोषी पाने के एक दिन बाद उनकी दो वर्ष की वरीयता कम करने और पेंशन के लिए 15 वर्ष सेवा में कमी करने के साथ उन्हें कड़ी फटकार लगायी.

जनरल कोर्ट मार्शल (जीसीएम) के पीठासीन अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल आई जे सिंह ने कहा कि फैसले में, ‘रैंक वापस लेना और लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में उनकी नियुक्ति का समय 24 मई, 2010 करना, पेंशन संबंधी लाभ के लिए 15 साल की सेवा में कमी और कड़ी फटकार लगाना है.’ दो वर्ष की वरिष्ठता खोने का मतलब होगा कि मई, 2008 में तीन स्टार रैंक हासिल करने वाले यह अधिकारी मई, 2010 में ही लेफ्टिनेंट जनरल के लिए प्रोन्नत माने जाएंगे. उनकी एक साल की सेवा और बची है.

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रथ को कोर्ट मार्शल ने तीन आरोपों में दोषी पाया था जबकि चार अन्य आरोप हटा दिए गए थे.

रथ ने धोखाधड़ी के आरोप हटाने के लिए जीसीएम के प्रति आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा, ‘इससे मेरे उपर लगा दाग हट गया जो मुझे इस मामले में आरोपपत्र दायर करने के समय से ही पीछा कर रहा था.’ कोर्ट मार्शल के इस आदेश की रक्षा मंत्रालय से पुष्टि होगी.

सेना के उप प्रमुख के लिए नामित किए गए रहे रथ को 33 वीं कोर के कमांडर के रूप में पश्चिम बंगाल में सुकना सैन्य ठिकाने के समीप जमीन के एक टुकड़े पर शैक्षणिक संस्थान के निर्माण के लिए एक निजी निर्माणकर्ता को अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करने का दोषी पाया गया.

उनके खिलाफ जो दो अन्य आरोप हैं वे हैं शैक्षणिक संस्थान के निर्माण के लिए गीतांजलि न्यास के साथ संधिपत्र पर हस्ताक्षर करना तथा इस प्रस्तावित करार के बारे में पूर्वी कमान में अपने वरिष्ठों को अवगत नहीं कराना. ‘धोखाधड़ी के इरादे’ से संबंधित आरोप कोर्ट मार्शल ने हटा दिए.

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