सुप्रीम कोर्ट ने समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता अमर सिंह की शीर्ष राजनीतिज्ञों और बॉलीवुड हस्तियों के साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत की टैप की गई सामग्री प्रसारित अथवा प्रकाशित करने को लेकर मीडिया पर लगायी गई रोक को बुधवार को हटा लिया.
न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति ए के गांगुली ने इस बारे में सिंह की ओर से दाखिल याचिका को खारिज करने के साथ ही गत 27 फरवरी को दिये गए अपने उस अंतरिम आदेश को भी वापस ले लिया जिसमें उसने मीडिया को अमर सिंह की बातचीत से संबंधित टैप सामग्री को सार्वजनिक नहीं करने को कहा था. पीठ ने साथ ही यह भी कहा कि अमर सिंह ने इस मामले में अदालत से तथ्यों को छुपाया है.
अदालत ने हालांकि कहा कि अमर सिंह अपना फोन अवैध रूप से टैप करने के लिए रिलायंय इंफोकाम के खिलाफ मामला दायर कर सकते हैं. पीठ की ओर से फैसला लिखने वाले न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार या उसके किसी विभाग के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता क्योंकि सिंह का टेलीफोन टैप करने में वे शामिल नहीं थे.
पीठ ने गत 29 मार्च को सिंह की ओर से दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था क्योंकि वह अमर सिंह और गैर सरकारी संगठन द सेंटर फार पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन का पक्ष सुनना चाहती थी. सीपीआईएल ने सिंह की ओर से दाखिल याचिका का विरोध करते हुए उनकी सभी टैप बातचीतों को सार्वजनिक करने का आदेश देने की मांग की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने गत 27 फरवरी 2006 को इलेक्ट्रानिक चैनलों और प्रिंट मीडिया पर सिंह सहित सभी की बातचीत टैपों की सामग्री के प्रकाशन और प्रसारण पर रोक लगा दी थी.
जब सिंह की टेलीफोन बातचीतों को टैप किया गया था उस समय वह समाजवादी पार्टी के महासचिव थे. उन्होंने इससे पहले कांग्रेस एवं निजी टेलीकाम प्रदाता कंपनी रिलायंस इंफोकाम के इस टैपिंग में हाथ होने के आरोप लगाये थे. उन्होंने बाद में कांग्रेस के खिलाफ लगाये गए आरोपों को वापस ले लिया था.
सिंह ने अपनी याचिका में दूरसंचार एवं गृह मंत्री के अलावा दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को भी शामिल किया था. उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि उनकी टेलीफोन बातचीत सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों तथा भारतीय टेलीग्राफ कानूनों एवं नियमों का उल्लंघन करके टैप की गयी.
पिछली सुनवाई में न्यायालय ने कहा कि हम इस याचिका पर लगी रोक को हटा भी नहीं रहे हैं, इसमें कुछ भी शेष नहीं है क्योंकि यह जाली दस्तावेजों के आधार पर दायर की गई थी. न्यायालय ने इससे पहले कहा था कि सिंह की निजता का उल्लंघन हुआ है लेकिन उन्हें दूरसंचार प्रदाता कंपनी के खिलाफ मामला दायर करना चाहिए.
पीठ ने कहा कि आपकी निजता के अधिकार में हस्तक्षेप की बात स्वीकार हो गई है. आपको इसका हल रिलायंस के खिलाफ मामला दायर करके मिल सकता है जिसने आपकी टेलीफोन बातचीत टैप की। आपके पास दूसरा हल भी है.
न्यायालय ने यह टिप्पणी उस समय की जब सिंह ने यह कहा कि यदि टैप टेलीफोन बातचीत की सामग्री को प्रकाशित प्रसारित करने पर लगायी गई रोक हटायी जाती है तो उनकी निजता का और भी उल्लंघन होगा. पीठ ने कहा कि सिंह दूरसंचार प्रदाता कंपनी रिलायंस इंफोकाम के खिलाफ और कोई वैकल्पिक अपील कर सकते हैं जिसने वर्ष 2005 में जाली दस्तावेज के आधार पर उनकी टेलीफोन बातचीत टैप करने की इजाजत दी.
पीठ ने कहा कि टेलीफोन टैप के लिए जारी पत्र जाली था और इसमें कोई सरकारी एजेंसी शामिल नहीं थी. सिंह निजी टेलीकाम कंपनी रिलायंस के खिलाफ मुकदमा दायर कर सकते हैं.