उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर कोई आदेश नहीं दिया. इस याचिका में सिब्बल पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने अनिल अंबानी की कंपनी आरकॉम का पक्ष लेते हुए जुर्माने की राशि घटा दी.
न्यायालय ने कहा कि असंतुष्ट व्यक्ति कानून के तहत समाधान हासिल कर सकता है. न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति ए के गांगुली की पीठ ने कहा, ‘किसी आदेश की आवश्यकता नहीं है.’ पीठ ने सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) द्वारा दायर हलफनामे पर ध्यान देते हुए यह टिप्पणी की.
याचिका में यूनिफाइड एक्सेस सर्विस लाइसेंस (यूएएसएल) समझौते का कथित तौर पर उल्लंघन करने को लेकर आरकॉम पर लगाए जाने वाले जुर्माने की राशि को 650 करोड़ रुपये से घटाकर पांच करोड़ रुपये करके आरकॉम का पक्ष लेने का सिब्बल पर आरोप लगाया गया है.
पीठ ने कहा, ‘अगर कोई भी अनियमितता कथित तौर पर दूरसंचार क्षेत्र से जुड़ी हो तो उसे 2 जी मामले से नहीं जोड़ा जा सकता.’ पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब सरकार की ओर से सॉलीसीटर जनरल गोपाल सुब्रह्मण्यम की जगह उपस्थित हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रोहिंटन नरीमन ने इस सवाल का जवाब दिया कि क्या यह मामला 2 जी से जुड़ा हुआ है.
नरीमन ने कहा, ‘बिल्कुल नहीं.’ पीठ ने स्पष्ट किया, ‘असंतुष्ट व्यक्ति कानून के अनुसार समाधान हासिल करने का हकदार होगा.’ मामले की सुनवाई के दौरान सीपीआईएल की तरफ से अधिवक्ता प्रशांत भूषण इस बात के लिए दबाव बना रहे थे कि इस प्रकरण की जांच कराई जानी चाहिए क्योंकि सिब्बल ने एकतरफा और अंतिम फैसला किया.
पीठ ने कहा, ‘सीबीआई जांच कर सकती है. मैं कुछ भी नहीं कह रहा.’ पीठ ने कहा, ‘मंत्री का फैसला सही या गलत हो सकता है.’ नरीमन सरकार की ओर से सॉलीसीटर जनरल गोपाल सुब्रह्मण्यम की जगह पेश हुए. सुब्रह्मण्यम न्यायालय में नहीं दिखे.
हलफनामे में आरोप लगाया गया है कि सिब्बल ने दूरसंचार सचिव समेत दूरसंचार विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सर्वसम्मति से किए गए फैसले को खारिज करने के लिए मंत्री के तौर पर अपने पद का दुरुपयोग कर एक निजी ऑपरेटर को फायदा पहुंचाया. इसके तहत निजी ऑपरेटर पर सिर्फ पांच करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया.
आवेदन में कहा गया है, ‘अनिल अंबानी के नियंत्रण वाली रिलायंस इंफोकॉम को फायदा पहुंचाने के लिए उनके द्वारा शक्तियों का दुरुपयोग किए जाने की सीबीआई से विस्तृत जांच कराए जाने की आवश्यकता है.’ हालांकि, सिब्बल ने यह कहते हुए आरोपों को खारिज कर दिया कि उन्होंने किसी का भी पक्ष नहीं लिया और जुर्माना यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) और आरकॉम के बीच हुए समझौते के प्रावधानों के तहत लगाया गया.