अयोध्या की विवादित जमीन के बारे में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं को सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया है.
याचिकाएं मंजूर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी भी की कि अयोध्या का मुकदमा टाइटल सूट का था और इस केस के पक्षकारों में से किसी ने भी विवादित जमीन को बांटने की मांग नहीं की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसके बावूजद हाईकोर्ट ने जमीन बांटने का फैसला क्यों सुनाया? कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चौंकाने वाला बताया है.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम निर्देश दिए हैं. पिछले साल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित जमीन के मालिकाने हक पर जो फैसला दिया था, उसके खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसपर कोर्ट ने निर्देश दिया.
हिंदू और मुस्लिम संगठनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की हैं. दरअसल इन संगठनों ने 2.77 एकड़ विवादास्पद भूमि को तीन हिस्सों में बांटने का विरोध किया है.
पिछले साल 30 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला दिया था कि विवादास्पद जमीन तीनों पक्ष- हिंदुओं, मुसलमानों और निर्मोही अखाड़े के बीच बांट दी जाए. जिन याचिकाओं पर सुनवाई है, वो निर्मोही अखाड़ा, अखिल भारत हिन्दू महासभा, जमीयत उलेमा ए हिन्द और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से दायर की गई हैं.
वक्फ बोर्ड और जमीयत उलेमा ए हिन्द ने कहा है कि उच्च न्यायालय के फैसले को निरस्त किया जाना चाहिए, क्योंकि ये सबूतों पर नहीं, आस्था पर आधारित है. इन याचिकाओं में कहा गया है कि तीनों पक्षों ने पूरी तरह अलग-अलग दावे कर समूची संपत्ति पर अपना हक बताया है, कोई भी संपत्ति के बंटवारे के हक में नहीं है. बहरहाल, पूरा मामला अब सुप्रीम कोर्ट के पास विचाराधीन है.