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नोएडा एक्‍सटेंशन जमीन आवंटन पर क्‍या कहा सुप्रीम कोर्ट ने

उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में किसानों से 156 हेक्टेयर जमीन लेकर उसे बिल्डरों को सौंपने के फैसले को गलत बताने और किसानों को भूमि लौटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को सही ठहराया.

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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

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उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में किसानों से 156 हेक्टेयर जमीन लेकर उसे बिल्डरों को सौंपने के फैसले को गलत बताने और किसानों को भूमि लौटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को सही ठहराया. शीर्ष अदालत ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर दस लाख रुपये का जुर्माना लगाने के साथ ही किसानों को उनकी भूमि वापस करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने जमीन आवंटन रद्द करते हुए कई महत्‍वपूर्ण टिप्‍पणियां कीं.

1. न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और ए के गांगुली की पीठ ने कहा कि ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने नियमों का पूरी तरह उल्लंघन कर बिल्डरों को जमीन दी है जबकि भूमि का अधिग्रहण करने की वजह कुछ और बतायी गयी थी.

2. सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा एक्‍सटेंशन की जमीन आवंटन रद्द करते हुए कड़े लहजे में बिल्‍डरों और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को कहा कि आप किसानों का दर्द नहीं समझ सकते, किसान के लिए जमीन उसकी मां के बराबर है.

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एक दिन पहले ही कोर्ट ने निम्‍नलिखित बातें कहीं-
3. ग्रेटर नोएडा में किसानों की जमीन आवंटन मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्‍त रुख अपनाते हुए अधिकारियों को इस बात के लिए फटकार लगाई कि वह भूमि अधिग्रहण पर ‘औपनिवेशिक कानून’ का फायदा उठाकर रईसों की झोली भरने के लिए किसानों को उनकी उपजाऊ कृषि भूमि से वंचित कर रहे हैं.

4. शीर्ष अदालत ने कहा कि विभिन्न राज्य सरकारें कानून का फायदा उठाकर गरीबों से भूमि लेने और उसे बिल्डरों को देने का ‘कुटिल अभियान’ चला रही हैं, जहां मल्टीप्लेक्स, मॉल, पॉश रिहायशी परिसर विकसित किए जा रहे हैं, जो आम आदमी की पहुंच के बाहर हैं.

5. जब अदालत में दलील दी गई कि आवासीय परिसर जरूरतमंदों के लिए विकसित किए जा रहे हैं तो न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति ए के गांगुली की पीठ ने कहा, ‘क्या आप सोचते हैं कि न्यायाधीश खाम खयाली (फूल्स पैराडाइज) में जीते हैं.’

6. अदालत ने कहा, ‘आप होटलों, मॉल, वाणिज्यिक परिसरों, टाउनशिप का निर्माण कर रहे हैं जिसतक आम आदमी की पहुंच नहीं है. क्या यह सार्वजनिक उद्देश्य की धारणा के तहत आता है जिसके लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया है.’

7. अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ग्रेटर नोएडा में भूमि के इस्तेमाल में परिवर्तन किए जाने पर सवाल करते हुए कहा, ‘यह वो योजना नहीं है जिसके लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया था. भूमि के इस्तेमाल में बदलाव के लिए कैसे अलग-अलग अधिसूचनाएं आईं.’

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8. सुपरटेक की ओर से हाजिर हुए पीपी राव ने दावा किया कि आवासीय परिसरों का विकास जरूरतमंदों के लिए किया जा रहा है तो इसपर अदालती पीठ ने उनका ध्यान कंपनी की विवरणिका की ओर दिलाते हुए कहा, ‘इसमें क्या है. यह गरीब लोगों के लिए नहीं है.’ पीठ ने कहा, ‘आप अपनी विवरणिका को देखें. स्विमिंग पूल, स्पा, टेनिस कोर्ट, बैडमिंटन कोर्ट, ब्यूटी पार्लर, आयुर्वेदिक मसाज आदि क्या ये सब गरीबों के लिए हैं.’ पीठ ने कहा, ‘मैं आपकी विवरणिका से पढ़ रहा हूं. क्या यह आम आदमी के लिए है. भूमि ली जाती है और बिल्डर को दी जाती है. यह कुटिल योजना है.’

9. कोर्ट ने कहा, ‘भूमि विकास के लिए दी जाती है जो निश्चित तौर पर समावेशी होनी चाहिए. राज्य गरीबों के खिलाफ कानून का फायदा उठा रहा है. विभिन्न राज्य सरकारें कपटी अभियान चला रही हैं. राज्य बिल्कुल जनविरोधी काम कर रहा है.’

10. पीठ ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के उद्देश्यों को विफल किया जा रहा है. पीठ ने कहा कि जनहित में समाज के सबसे गरीब व्यक्ति को लाभ मिलना चाहिए लेकिन ‘आप (अधिकारी) इस तरह काम कर रहे हैं कि उन्हें (गरीब और आम आदमी) हटाया जा रहा है.’

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