राज्यसभा में मंगलवार को गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर आ गए और उन पर राजग ने आरोप लगाया कि वह अमरनाथ तीर्थ यात्रा संबंधी ध्यानाकषर्ण प्रस्ताव के लिए ढंग से तैयारी करके नहीं आए हैं.
प्रश्नकाल के बाद जब विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने अमरनाथ यात्रा के लिए पर्याप्त सुविधाओं के अभाव और बड़ी संख्या में तीर्थ यात्रियों की मौत संबंधी ध्यानाकषर्ण प्रस्ताव की ओर शिंदे का ध्यान दिलाया तो उन्होंने कहा, ‘मुझे बताया गया था कि ध्यानाकषर्ण प्रस्ताव के बाद लिखित जवाब दिया जाता है जो अभी नहीं आया है. लेकिन मैं चर्चा के लिए तैयार हूं.’
इस पर आपत्ति जताते हुए सदन में भाजपा के उप नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस बारे में काफी दिन पहले ही एक नोटिस दे दिया गया था और मंत्री को इसके लिए जवाब तैयार करके सदन में आना चाहिए था. इसके कुछ ही देर बाद शिंदे को लिखित जवाब मिल गया और वह इसे पढ़ने लगे. लेकिन भाजपा की नजमा हेपतुल्ला ने आपत्ति जताते हुए कहा कि मंत्री जब भी कोई लिखित बयान पढ़ते हैं तो नियमों के अनुसार, उस बयान की हिंदी एवं अंग्रेजी प्रति सदस्यों को दी जाती है.
नजमा ने कहा कि सरकार को गृह मंत्री के बयान की प्रति सदस्यों को फौरन मुहैया करानी चाहिए. पीठासीन अध्यक्ष पी जे कुरियन ने उनकी बात का समर्थन करते हुए कहा कि नियमों के अनुसार, सरकार को यह बयान सदस्यों को मुहैया कराना चाहिए.
इस पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा कि गृह मंत्री को लिखित बयान पढ़ने की अनुमति दी जानी चाहिए. उनके बयान के खत्म होने से पहले ही सदस्यों को बयान की प्रति मुहैया करा दी जाएगी.
इसी बीच, विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने सुझाव दिया कि सदस्यों के लिए सरकार जब तक इस बयान की प्रतियों का प्रबंध करे, इससे पहले सदन में मुंबई हिंसा संबंधी मुद्दे पर चर्चा करा लेनी चाहिए. उसके बाद अमरनाथ यात्रा संबंधी ध्यानाकषर्ण प्रस्ताव पर चर्चा हो. जेटली के इस सुझाव को सत्ता पक्ष सहित सभी सदस्यों ने स्वीकार कर लिया.