सरकार को आड़े हाथों लेते हुए विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) पी जे थॉमस पर सरकार के बयान को ‘झूठा’ करार दिया और इस मामले में उच्चतम न्यायालय से सम्पर्क करने की बात कही.
सुषमा ने सरकार के उन दावों को गलत बताया, जिसमें कहा गया है कि थॉमस के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप उच्च अधिकार प्राप्त समिति के समक्ष नहीं लाया गया, जिसकी वह सदस्य हैं.
भाजपा नेता ने कहा, ‘‘यह सही नहीं है. वास्तव में यह गलतबयानी है. मैंने व्यक्तिगत तौर पर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के समक्ष इस विषय को एक बैठक में उठाया था, हालांकि उन्होंने इस नियुक्ति पर जोर दिया था.’’
सुषमा ने संवाददाताओं से कहा कि वे हमेशा न्यायिक प्रक्रिया से अलग रही हैं, लेकिन अब उन्होंने उच्चतम न्यायालय के समक्ष हलफनामा पेश करने का निर्णय किया है.
सुषमा ने तीन सदस्यीय समिति की ओर से सीवीसी के रूप में थामस के चुने जाने पर औपचारिक तौर पर विरोध जताया था. भाजपा नेता अटर्नी जनरल जी ई वाहनवती की ओर से उच्चतम न्यायालय में पेश हलफनामे पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रही थीं, जिसमें कहा गया था कि समिति को इस बात की जानकारी नहीं थी कि थॉमस के खिलाफ पामोलिन आयात मामले में केरल में मामला लंबित है.{mospagebreak}
सुषमा ने कहा कि मुख्य विपक्षी पार्टी ने यहां तक कि कुछ महीने पहले केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के शपथ-ग्रहण समारोह का बहिष्कार भी किया था. उन्होंने जोर दिया कि थॉमस की नियुक्ति पर उनकी मुख्य आपत्ति यह है कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में आरोपपत्र हैं और केरल सरकार ने उनके खिलाफ मामला चलाने की अनुमति दी है.
एक स्वयंसेवी संस्थान सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन एवं अन्य ने सीवीसी के तौर पर थॉमस की नियुक्ति को चुनौती दी है और इस संदर्भ में पामोलिन आयात भ्रष्टाचार मामले का हवाला दिया है.