धमकाने और झूठे हलफनामे पर हस्ताक्षर करवाने का आरोप लगाती एक कांस्टेबल की प्राथमिकी के आधार पर पुलिस ने गुजरात के निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को हिरासत में ले लिया.
प्राथमिकी में भट्ट के खिलाफ आरोप लगाया गया है कि उन्होंने कांस्टेबल को धमकाते हुए 27 फरवरी 2002 को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलायी गयी उच्च स्तरीय बैठक के बारे में ‘गलत’ हलफनामे पर हस्ताक्षर करने को कहा.
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गुजरात के पुलिस महानिदेशक चितरंजन सिंह ने बताया, ‘घाटलोदिया पुलिस थाने में दर्ज प्राथमिकी के संबंध में भट्ट को पूछताछ के लिये बुलाया गया था. उनका बयान दर्ज किया जायेगा. उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है.’ भट्ट ने आरोप लगाया है कि गोधराकांड के बाद गुजरात में हुए दंगों में मोदी की कथित तौर पर सहअपराधिता थी.
पुलिस के अनुसार, भट्ट को अतिरिक्त पुलिस आयुक्त एन सी पटेल घाटलोदिया पुलिस थाने ले गये हैं.
वर्ष 2002 के दंगों के दौरान भट्ट के अधीन काम कर चुके कांस्टेबल के. डी. पंत ने प्राथमिकी दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि भट्ट ने एक सरकारी कर्मचारी यानी उन्हें धमकाया, सबूतों को गढ़ा और गलत तरीके से उन पर दबाव बनाया.
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पंत ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया कि उन्हें भट्ट ने 16 जून को फोन किया और उनसे किसी काम के सिलसिले में घर पर आने को कहा. जब पंत भट्ट के आवास पर पहुंचे तो आईपीएस अधिकारी ने उन्हें बताया कि मुकदमे में मदद करने के लिये उच्चतम न्यायालय की ओर से नियुक्त वकील 18 जून को आयेंगे और उन्हें बयान दर्ज कराने के सिलसिले में उनसे मुलाकात करनी होगी. पंत का आरोप है कि भट्ट ने उनसे कहा कि वकील को बताया जाये कि विशेष जांच दल (एसआईटी) ने उनका बयान जबर्दस्ती दर्ज किया था. जब पंत ने इस बात का विरोध किया तो भट्ट ने कथित तौर पर उन्हें धमकी दी. भट्ट ने पंत से कहा कि अगर वह उनके कहे अनुसार काम करते हैं तो इसमें कोई चिंता की बात नहीं है.
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पुलिस कांस्टेबल का दावा है कि भट्ट उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अर्जुन मोधवाडिया के पास ले गये. कांग्रेस नेता ने भी पंत को आश्वासन दिया कि इसमें चिंता करने की बात नहीं है और उन्हें वही करना चाहिये जो भट्ट कह रहे हैं. मोधवाडिया से मिलने के बाद भट्ट पंत को गुजरात उच्च न्यायालय के निकट एक वकील और नोटरी के दफ्तर ले गये और उनसे दो हलफनामों पर हस्ताक्षर करवाये.
भट्ट ने उच्चतम न्यायालय में दायर हलफनामे में आरोप लगाया है कि गोधराकांड के बाद हुए दंगों में मोदी की सहअपराधिता थी. उन्होंने कहा कि पंत मोदी की बैठक के बारे में जानते थे, लिहाजा उन्हें धमकाया गया और विशेष जांच दल द्वारा उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.