वर्ष 2007 के समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले में प्रमुख आरोपी स्वामी असीमानंद को गुरुवार को एक अदालत ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया.
दक्षिणपंथी हिन्दू संगठन अभिनव भारत के सदस्य के वकील ने बताया कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अदालत में कहा कि उसे आरोपी को और हिरासत में रखने की जरूरत नहीं है क्योंकि उसने जांच पूरी कर ली है. लेकिन एजेंसी ने असीमानंद का बयान रिकार्ड करने के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में आवेदन दिया.
एनआईए पिछले महीने असीमानंद को हैदराबाद से लायी थी और 23 दिसंबर को आरोपी को अदालत में पेश किया गया था. असीमानंद 2007 के मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में भी आरोपी हैं. विशेष अदालत के न्यायाधीश के उस दिन अवकाश पर होने के कारण असीमानंद को एक दिन के लिए एनआईए की हिरासत में भेज दिया गया था. एक दिन की अवधि समाप्त होने के बाद स्वामी को विशेष अदालत के समक्ष पेश किया गया. {mospagebreak}
न्यायाधीश रीतू गर्ग ने उन्हें 13 जनवरी तक के लिए एनआईए की हिरासत में भेज दिया था. अदालत में इस मामले की सुनवाई बंद कमरे में हुई थी क्योंकि एनआईए ने मामले के ‘‘संवेदनशील’’ होने के मद्देनजर इस संबंध में आवेदन दिया था.
सीबीआई ने मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में भूमिका होने के आरोप में असीमानंद को 19 नवंबर को गिरफ्तार किया था. वह हरिद्वार में पहचान छुपा कर रहे थे और उन पर फर्जी पहचान पत्र हासिल करने का भी आरोप है.
वनस्पति विज्ञान में स्नातकोतर तक पढ़ाई कर चुके असीमानंद पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के निवासी हैं और उनका मूल नाम जतिन चटर्जी है. 1990 के दशक में वह दक्षिण गुजरात के डांग क्षेत्र में रहने लगे. असीमानंद का नाम 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में भी सामने आया था जब महाराष्ट्र के आतंवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने साध्वी प्रज्ञा सिंह से असीमानंद के ड्राइवर का फोन नंबर मिला था.