उत्तराखंड सरकार ने चौतरफा दबाव के आगे झुकते हुए स्वामी निगमानंद की मौत के मामले में सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं. प्रदेश में अवैध खनन का विरोध करते हुए पिछले चार महीने से अनशन कर रहे स्वामी निगमानंद को जहर दिए जाने के आरोप लग रहे हैं.
प्रदेश सरकार के मीडिया सलाहकार देवेंद्र भसीन ने बताया कि मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने स्वामी निगमानंद की मौत से जुड़ी जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है.
निगमानंदन का 13 जून को निधन हो गया था. वह गंगा में अवैध खनन पर तुरंत रोक लगाने की मांग को लेकर 19 फरवरी से अनशन कर रहे थे. प्रदेश सरकार पर निगमानंद की मौत की सीबीआई जांच की मांग को लेकर चारों ओर से दबाव पड़ रहा था.
सरकार ने इस मामले की जांच सीबी-साईडी से कराने को कहा था, लेकिन कांग्रेस ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि सरकार खनन माफिया के दबाव में काम कर रही है.
इसके पहले दिन में प्रदेश के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने संवाददाताओं से कहा कि अगर निगमानंद के परिजन और मैत्री सदन आश्रम के लोग चाहेंगे, तो सरकार सीबीआई जांच के बारे में सोचेगी.
कौशिक ने कहा कि निगमानंद के शव का पोस्टमार्टम कराया जा चुका है और उससे पता चला है कि उनकी मौत कोमा में जाने के बाद मस्तिष्क के क्षरण से हुई लेकिन उनके पेट का विसरा रख लिया गया है और उसे जांच के लिये लखनऊ या आगरा भेजा जा रहा है.
वहीं दरभंगा में मौजूद स्वामी निगमानंद के परिजनों ने उनकी मौत की परिस्थितियों की जांच की मांग करते हुए उत्तराखंड सरकार पर स्वामी निगमानंद के प्रति असंवेदनशीलता दिखाने का आरोप लगाया.