सीवीसी की नियुक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफलनामा नहीं देंगी सुषमा स्वराज. गौरतलब है कि सीवीसी नियुक्ति के पैनल की सदस्य लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने थामस के नाम पर कथित आपत्ति प्रकट की थी और लिखित में अपना विरोध भी जताया था.
सुषमा ने इस मसले पर शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर करने की बात कही थी. इस पैनल के दो अन्य सदस्य प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और खुद चिदंबरम थे.
पी जे थामस की केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) के रूप में नियुक्ति पर उपजे विवाद के बीच केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने सोमवार को ही कहा था कि उनकी नियुक्ति बहुमत के फैसले से हुई थी. फैसला आम सहमति से हुआ या नहीं, इस सवाल को चिदंबरम उच्चतम न्यायालय पर टाल गये.
केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त के रूप में पी जे थामस की नियुक्ति को सही ठहराते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि थामस का चयन करने वाली समिति ने पामोलीन मामले पर चर्चा की थी और लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज यदि ‘असहमति’ की बात करती हैं तो बिना चर्चा के असहमति का सवाल ही नहीं उठता है. {mospagebreak}
चिदंबरम ने अपने मंत्रालय की जनवरी की प्रगति रपट पेश करते हुए संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा कि चयन समिति की बैठक में चर्चा हुई और फिर ‘मिनट्स’ लिखे गये, जिस पर सुषमा ने लिखा है कि ‘वह असहमत हैं.’ इसका मतलब हुआ कि वह अन्य दो सदस्यों की राय से असहमत हैं. ‘स्वाभाविक रूप से कोई महत्वपूर्ण बात हुई होगी, जिस पर सुषमा असहमत रही होंगी. किसी विषय पर चर्चा हुई होगी, नाम पर चर्चा हुई होगी और इसमें काफी समय लगा होगा, तभी असहमति की बात आयी.’
उन्होंने कहा, ‘कृपया याद रखिये, बिना चर्चा के असहमति का सवाल नहीं उठता. सुषमा ने अपनी बात रखी और अन्य दो सदस्यों ने अपनी.’ समिति ने पी जे थामस और पामोलीन मामले की चर्चा की थी.
चिदंबरम ने यह भी बताया था कि चर्चा के दौरान समिति के संज्ञान में यह बात लाई गयी थी कि थामस के खिलाफ हालांकि मामला दर्ज है लेकिन मुकदमा चलाने के लिए न तो दिसंबर 1999 से मई 2004 के बीच राजग सरकार ने और न ही उसके बाद संप्रग सरकार ने मंजूरी दी.
गौरतलब है कि सीवीसी नियुक्ति के पैनल की सदस्य लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने थामस के नाम पर कथित आपत्ति प्रकट की थी और लिखित में अपना विरोध भी जताया था.